
MD AFROZ UDDIN
पटना। आमतौर पर खिलाड़ियों की चर्चा हर कोई करता है। लेकिन खिलाड़ियों को बेहतर बनाने और उनको उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने में खेल प्रशासकों का बड़ा हाथ होता है। इनमें कई प्रशासकों को हम जानते हैं। बीते दिनों में बिहार के कई खेल प्रशासकों ने राज्य के खिलाड़ियों की सफलता में अपना बड़ा योगदान किया है। उनमें एक महत्वपूर्ण नाम है स्व. सैयद एजाज हुसैन का। शुरुआती समय में खुद क्रिकेटर होने के बावजूद बाद के दिनों में फुटबॉल, क्रिकेट, हॉकी, वालीबॉल, एथलेटिक्स समेत कई खेलों को बढ़ावा देने में इनका अहम हाथ रहा है। तो एक नजर डालते हैं उनके योगदान पर।




बेहतर गेंदबाज भी थे एजाज साहब
दो अक्टूबर 1939 में पटना के सैयद मुस्तफा हुसैन के घर जन्मे सैयद एजाज हुसैन की स्कूल शिक्षा राजधानी के राम मोहन राय सेमिनरी स्कूल में हुई। उन्होंने 1954 में वहां से मैट्रिक की परीक्षा पास की। वे बचपन से ही खेल के प्रति रूचि रखते थे। बीएन कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एथलेटिक्स की चार गुणा सौ मीटर रिले स्पर्धा में हिस्सा लिया और पदक भी जीते। एथलेटिक्स से जीता उनकी रूचि क्रिकेट में थी और मध्यम गति के तेज गेंदबाज थे। उन्होंने पटना जिला क्रिकेट लीग में हैट्रिक विकेट भी जमाया है। जीएसी के खिलाफ खेले गए मैच में पटना कलेक्ट्रियट की ओर से खेलते हुए उन्होंने 16 रन देकर पांच विकेट चटकाये थे। वाईएमसी के खिलाफ उन्होंने 22 रन देकर तीन विकेट चटकाये।


राज्य के फुटबॉल को पहचान दिलाई
‘एजाज साहब’ के रूप विख्यात एजाज हुसैन जितने बेहतर खिलाड़ी थे उतने से ज्यादा अच्छा में एक प्रशासक के रूप जाने गए। उन्होंने राज्य में खेलकूद को एक नजरिया दिया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार को पहचान दिलाई। खासकर फुटबॉल में उन्होंने बताया कि राज्य कैसे बेहतर कर सकता है। अपने पूर्ववर्तियों की राह पर चल कर उन्होंने मोइनुल हक कप को 1949 से लगातार चलने वाली राज्य फुटबॉल प्रतियोगिता बनाया जिसका निवर्हन उनके दुनिया को अलविदा करने के बाद भी हो रहा है। इस तरह की राज्य में कोई प्रतियोगिता नहीं जो लगातार आयोजित होती रही है।
छोटी उम्र में ही खेल प्रशासक का पद संभाला
एजाज हुसैन कम उम्र ही खेलों के प्रशासन से जुड़ गए थे। उनका ध्यान खेलने से ज्यादा खेलाने पर था।अपने समय के राज्य खेलों के दिग्गज एसएम मोइनुल हक (मोइन साहब) से उन्होंने बहुत कुछ सीखा। मोइन साहब के जीवन काल में ही एजाज साहब ने अपना कैरियर खेल प्रशासक के रूप में चुना और बाद में पर्याय बने गए। मोइन साहब के अलावा एजाज साहब को बीएन प्रसाद, रवि मेहता, बीएन बसु और आर लाल जैसे खेल अधिकारियों का सानिध्य मिला।

कई संघों के थे पदाधिकारी
एजाज साहब पटना एथलेटिक संघ (जब जिला संघ एक साथ थे), पटना फुटबॉल संघ, बिहार फुटबॉल संघ, बिहार हॉकी संघ, बिहार ओलंपिक संघ के सचिव रहे। इसके अलावा थ्रोबॉल एसोसिएशन ऑफ बिहार के अध्यक्ष, बिहार फुटबॉल रेफरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उनका नाता बिहार राज्य कबड्डी संघ, बिहार वॉलीबॉल संघ से भी रहा।
राष्ट्रीय स्तर पर भी था उनका जलवा
एक बार प्रियरंजन दासमुंशी को अखिल भारतीय फुटबॉल संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीत दिलाने में एजाज साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा। लोग तो कहते हैं कि इस चुनाव के समय एजाज साहब को उस पद पर खड़े देश के एक बड़े उद्योगपति ने बहुत बड़ा ऑफर दिया था पर एजाज साहब ने अपनी कर्तव्यनिष्ठा नहीं छोड़ी और दासमुंशी को जीत दिलाई। वे भारतीय हॉकी महासंघ के उपाध्यक्ष, भारतीय ओलंपिक संघ और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के कार्यकारिणी सदस्य भी रहे। भारतीय वॉलीबॉल संघ द्वारा चयनकर्ता भी नियुक्ति किये गए थे। बिहार में हुए कई नामी टूर्नामेंट श्रीकृष्ण गोल्ड कप, संजय गांधी गोल्ड कप और कर्पूरी ठाकुर गोल्प के सफल आयोजन में उनकी भूमिका मुख्य रही। इसके अलावा एशियन स्कूली गेम्स का पटना में शानदार आयोजन होना। इस सभी बड़े टूर्नामेंटों के बेहतर आयोजन से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर काफी पहचान मिली।


भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे
भारतीय फुटबॉल और हॉकी टीमों को एजाज साहब ने अपनी सेवाएं दी थीं। उन्होंने केन्या में हॉकी टीम के साथ दौरा किया तो मलेशिया में भी टीम के मैनेजर रहे। अस्सी व नब्बे के दशक में एजाज साहब सबसे ज्यादा सक्रिय रहे। उन्हें राष्ट्रीय खेल महासंघों ने कई बार विदेश दौरे पर भारतीय टीम के मैनेजर के रूप में कहा पर उन्होंने कहा कि यह बहुत कठिन काम है। वे कहते थे कि खिलाड़ियों का पासपोर्ट और डॉलर कब गुम हो जाए पता नहीं।
कमेंट्री भी की
सत्तर के दशक और इसके बाद एजाज हुसैन मैदान और कमेंट्री बूथ को कई बार साथ-साथ संभाला। केवल फुटबॉल ही नहीं वॉलीबॉल, हॉकी सहित अन्य खेलों की कमेंट्री उन्होंने की। भारत और पाकिस्तान के बीच पटना में खेले गए डेविस कप टेनिस मैच की कमेंट्री उन्होंने की थी। इन कामों में उन्हें स्व. प्रेम कुमार, स्व. समीर सेन गुप्ता और बद्री प्रसाद यादव का साथ मिला।
पत्रकार भी थे एजाज साहब
एजाज साहब पत्रकार भी थे। सब एडिटर के रूप में सदा-ए आम उर्दू डेली न्यूज पेपर में काम किया। उन्होंने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का भी काम किया।
नियमों के काफी पक्के थे एजाज साहब
एजाज साहब काफी मृदुभाषी थे। अपनी शिकायत करने वालों से उसी तरह व्यवहार करते थे जैसे और सब से। वे खिलाड़ियों की बातों, उनकी समस्याओं को सुनते थे और उसका समाधान भी निकालते थे। खिलाड़ी या अन्य खेल से जुड़े लोग उनकी काफी कद्र करते थे। नियमों के काफी पक्के थे। नियम के पालन को लेकर कई बार उनकी सरकार से ठन जाती थी। वे नहीं झुकते थे और अंतत: सरकारी अमला को झुकना पड़ता था। यह बड़ी शाख्यित हम सबों को छोड़ कर 24 दिसंबर 2011 को चला गया अब तो बस उसकी यादें बिहार खेल जगत के पास है।