
मो अफरोज उद्दीन
पटना। आंकड़े तो कागजों की शोभा होते हैं और कई बार ये आकड़े मैदानों पर ढेर हो जाते हैं। ऐसा कई बार होते हुए हम सबों ने देखा है। प्रतिभा कभी आकड़ों की मोहताज भी नहीं रही। एक ऐसा ही क्रिकेटर जिनके आकड़े कागजों पर भले न आकर्षित करती हो मगर इनकी प्रतिभा मैदानों में कहीं ज्यादा चमकती थी । लेकिन सही वक्त पर, और ज्यादा मौके नहीं मिलने से इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी को वह पहचान नहीं मिल सका जिसके वो हकदार थे। ये और कोई नहीं तेज गेंदबाज धीरू यानी …….। तो आइए जानते हैं इनके बारे में-
धीरज कुमार का बचपन कंकड़बाग इलाके में बीता और शुरू के दौर में वे ऐसे ही मैदानों में क्रिकेट खेला करते थे। पहली बार क्रिकेट के मेन स्ट्रीम में इन्हें पटना जिला क्रिकेट संघ के संयुक्त सचिव अरुण कुमार सिंह लाये और उन्हें एनवाईके सीसी की ओर से खेलने का ऑफर दिया।
तेज व स्विंग गेंदबाजी के माहिर धीरज कुमार की रफ्तार दिनों-दिन बढ़ती गई और पहले क्लब, फिर जिला और फिर स्टेट टीम में जगह बनाई। उन्होंने वर्ष 1988-89 में अंडर-17 कैटेगरी में बिहार की ओर से खेला। इसमें बेहतर प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन ईस्ट जोन के कैंप में हुआ। 1989 से 1993 तक बिहार अंडर-19 क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। 1990 से 1992 तक अंडर-19 ईस्ट जोन क्रिकेट टीम की ओर से खेला। सत्र 1991-92 में भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम के संभावितों में शामिल हुए।




धीरज का फस्र्ट क्लास मैच में पदार्पण सत्र 1996-97 में बंगाल और बिहार के बीच ईडेन गार्डन में 28 दिसंबर, 1996 को हुई। उन्होंने वर्ष 2001 तक रणजी ट्रॉफी में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अपना अंतिम मैच ओड़िशा के खिलाफ खेला था जिसमें ओड़िशा पारी से विजयी विजयी हुआ। पहली पारी में धीरज के खाते में कोई विकेट नहीं आया था।
1996-97 सत्र से रणजी ट्रॉफी खेलने की शुरुआत करने वाले धीरज ने पहले सीजन में चार, 1997-98 में तीन मैच खेल कर तीन, 1998-99 में तीन मैच खेल कर 6, 1999-2000 सीजन में 18 और 2000-2001 सीजन में 9 विकेट हासिल किये। सत्र 1999-2000 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा 167 रन देकर 6 विकेट। यह कारनामा धीरज कुमार ने इस सत्र में रणजी ट्रॉफी सुपर लीग के अंतर्गत बड़ोदरा के खिलाफ खेले गए मैच में किया था।




हालांकि यह मैच बड़ोदरा ने जीता पर पहली पारी में धीरज कुमार ने सीसी विलियम्स (4 रन), आरए स्वरुप (59 रन), एसएस परव (0), नयन मोंगिया (65 रन), आरबी पटेल (35 रन) और वीएन बुंच (39 रन) को आउट किया था। इस पारी के शेष चार विकेट मिहिर दिवाकर ने चटकाये थे। बड़ोदरा ने पहली पारी में कुल 499 रन बनाये थे। बिहार ने अपनी पहली पारी में 119 और फॉलोआन खेलते हुए दूसरी पारी में 266 रन बनाये। इस मैच में भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी भी खेल रहे थे और उन्होंने 31 और 45 रन बनाये थे। टीम की कमान सुनील कुमार के हाथों में थी।



धीरज ने लिस्ट ए (वनडे) के दस मैच खेले। सात पारियों में उन्होंने कुल 11 विकेट चटकाये हैं। सत्र 2000-01 में वे दलीप ट्रॉफी में खेलने वाली ईस्ट जोन टीम के हिस्सा थे।
भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत धीरज कुमार सत्र 2016-17 में बिहार अंडर-19 क्रिकेट टीम के सहायक और सत्र 2019-20 बिहार रणजी टीम के सहायक कोच रहे। उन्होंने एमआरएफ फाउंडेशन द्वारा तेज गेंदबाजों की ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया। चयनकर्ता के रूप में उन्होंने अपना योगदान दिया है।
धीरज कुमार के बारे में पटना के क्रिकेट जानकारों व उनके साथियों का कहना है कि वह कभी भी अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करते हैं और अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ निभाते हैं।