पटना। क्रिकेट में जब से टी-20 का बोलबाला होने लगा है दर्शक बिना तेज बल्लेबाजी देखे खुद को अधूरा समझते हैं। लेकिन उस समय को याद कीजिए जब इस तरह का क्रिकेट कम खेला जाता था। तब लोग तेज बल्लेबाजी का जितना आनंद लेते थे, उतना ही धैर्य से खेली गयी पारियों का भी लुत्फ उठाते थे। लेकिन क्रिकेट में तेज बल्लेबाजी का अपना ही महत्व है।
रणजी ट्रॉफी में एक पुरस्कार होता है तेज बल्लेबाजी का। इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। लेकिन एक समय उन बल्लेबाजों की फेहरिस्त खोजी जाती थी जिन्हें एलपी जय ट्रॉफी दी जाती थी। यह ट्रॉफी हर सीजन में सबसे कम गेंदों या समय में शतक जमाने वाले बल्लेबाज को दी जाती है।



बिहार के बल्लेबाजों की बात करें तो कई बल्लेबाज तेज बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। रिकॉर्ड के नजरिये से देखें तो पिछले तीन दशक में कुछ चुने हुए बल्लेबाज ही बिहार के लिए 100 से कम गेंदों पर अपना शतक पूरा कर सके हैं। इसमें सबसे पहला नाम आता है तरुण कुमार भोला का। तरुण के नाम बिहार के लिए सबसे तेज बल्लेबाजी का रिकॉर्ड है। उन्होंने 1995-96 के सत्र में उड़ीसा के खिलाफ बालासोर में खेलते हुए केवल 80 गेंदों पर अपना शतक पूरा कर लिया था। लेकिन इसके अगली ही गेंद पर वह रंजीब बिस्वाल की गेंदबाजी पर राजीव सेठ के हाथों कैच आउट हो गये थे।
तरुण कुमार उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि असल में मुझे सत्र के अंतिम मैच में ही खेलने का मौका मिला था। तरुण ने कहा, पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए मैं उड़ीसा की तगड़ी गेंदबाजी लाइनअप पर टूट पड़ा। आमतौर मैं आक्रामक बल्लेबाजी ही करता हूं। उस दिन भी मैंने यही किया। तरुण की इस 103 मिनट की 81 गेंदों वाली पारी में 8 चौके और 7 छक्के शामिल थे। यानि 100 रन में 74 रन सिर्फ बाउंड्री से बने थे। इससे पता चलता है कि तरुण ने 24 जवनरी 1996 को कितनी तेज बल्लेबाजी की होगी। तरुण ने 25 साल पहले की उस पारी को याद करते हुए कहा कि तब मुझे कमबैक का मौका मिला था और मैंने वही किया जो मैं हमेशा करता रहा हूं। यानि अपना नैचुरल गेम खेला और बिहार का स्कोर 293 रन तक पहुंचा दिया।

दूसरी ओर 1996 में उड़ीसा के खिलाफ उस मैच में पारी की शुरुआत करने वाले सुनील कुमार (55) ने भी तरुण की उस पारी को जबर्दस्त माना है। सुनील कहते हैं कि तरुण ने हमेशा अटैकिंग बैटिंग की और कभी भी अपने विकेट की परवाह नहीं की। पूर्व कप्तान मानते हैं कि तरुण जैसा विस्फोटक बल्लेबाज मैंने पटना में किसी और में नहीं पाया।
इसके बावजूद तरुण का मानना है कि मेरा यह शतक रणजी ट्रॉफी का बेस्ट नहीं है। उनका मानना है कि मुंबई के खिलाफ फरवरी 1993 में प्री क्वार्टर फाइनल में बनाये गये नाबाद 100 रन की पारी ही सर्वश्रेष्ठ है। कुल मिलाकर तरुण ने बिहार के लिए रणजी ट्रॉफी के 17 मैचों में 675 रन बनाये। इसके अलावा दलीप ट्रॉफी में उन्होंने पूर्वी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस तरह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में तरुण के नाम 22 मैचों में 827 रन दर्ज हैं।
बिहार के लिए विवेक कुमार 92 गेंदों पर और शशीम राठौड़ 98 गेंदों पर शतक जमाने वाले अन्य बल्लेबाज हैं।
साभार : राष्ट्रीय सहारा (पटना)