पटना,11 नवंबर। स्वायत संस्था पर सरकारी हस्तक्षेप बढ़ने उनकी मान्यता खत्म होने की नौबत आ जाती है। ताजा उदाहरण के तौर पर श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड की स्थिति को देख लें। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने हफ्ते भर चले सरकारी हस्तक्षेप के घटनाक्रम के कारण शुक्रवार को अपने पूर्ण सदस्य श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) को निलंबित कर दिया।
श्रीलंका में हुए घटनाक्रम का यह डर पिछले एक दिन से बिहार क्रिकेट जगत को भी सताने लगा है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को लेकर विधानसभा में सवाल-जवाब होना। बीसीए अध्यक्ष पर आरोपों की बौछार। बीसीए की ओर से आरोप लगाने वाले विधायक डॉ संजीव कुमार पर ताबड़तोड़ हमले जारी हैं।
विधानसभा में उठाए गए सवाल पर विधानसभा की कमेटी द्वारा अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के कार्यकलाप की जांच के लिए कमेटी गठित होने की बात समेत अन्य घटनाक्रम को देख कर बिहार क्रिकेट जगत इस सोच में पड़ा है कि सरकारी हस्तक्षेप अगर बढ़ा तो भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) कहीं आईसीसी वाला स्टेप न उठा लें।
ऐसा कोई पहली बार नहीं है जब स्वायत संस्थाओं पर सरकारी या थर्ड पार्टी हस्तक्षेप बढ़ते हैं उसकी इंटरनेशनल या राष्ट्रीय बॉडी उसकी सदस्यता पर तत्काल रोक लगा देती है।
पिछले वर्ष फीफा ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईआईएफ) की सदस्यता इस मुद्दे को लेकर निलंबित कर दी थी। 15 अगस्त,2022 को अन्तर्राष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ (फीफा, FIFA) ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) को निलंबित किया था। फीफा ने थर्ड पार्टी के दखल की वजह से यह निर्णय लिया है। फीफा ने इसका कारण बताते हुए कहा था कि इंडिया फुटबॉल फेडरेशन द्वारा नियमों के उल्लंघन की वजह से यह फैसला किया गया था।
फीफा ने साफ कहा था कि AIFF में थर्ड पार्टी (CoA) का दखल है, इसको देखते हुए निलंबन का फैसला लिया गया है। इसका मतलब है कि AIFF या फिर किसी भी देश के खेल संस्था में राजनीतिक दखल नहीं या किसी तरह का थर्ड पार्टी दखल नहीं होना चाहिए। भारत में अंडर-17 विश्व कप फुटबॉल का आयोजन होना था। आनन-फानन में सरकारी व कानूनी हस्तक्षेप बंद हुए। सीओए को भंग किया तब जाकर फीफा ने मान्यता दी।
जहां तक श्रीलंका की बात है वहां भी श्रीलंका क्रिकेट की गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप यानी संसद की ओर कार्य किये जा रहे थे। इसके बाद आईसीसी ने यह फैसला लिया। बिहार में वैसे ही हालात बनते दिख रहे हैं। बिहार क्रिकेट जगत इस बात से डर है कि क्या होगा।