मदर्स डे के शुभ अवसर पर हम आपको कुछ प्रेरणा से ओत-प्रोत सुपर मॉम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने खेल के क्षेत्र में भारत को गौरवांवित किया है।
इसमें कोई शक नहीं है कि मातृत्व एक ऐसा कर्ज है जिसका ऋण कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में नहीं चुका पाता है। आपने कई सुपर मॉम के बारे में सुना होगा। ऐसे सुपर मॉम भारत समेत पूरे विश्व खेल जगत में हैं जिन्हें आपने बीते कुछ वर्षों में खेल के मैदान में अपनी चमक बिखेरते हुए देखा है।
टेनिस में किम क्लिजस्टर्स ने अपनी बेटी के जन्म के एक साल बाद यूएस ओपन जीता, जबकि सेरेना विलियम्स ने आठ सप्ताह की गर्भवती होने के बाद ऑस्ट्रेलियन ओपन जीता था। तैराक डारा टोरेस ने 41 साल की उम्र में अपने पहले बच्चे को जन्म देने के 16 महीने बाद बीजिंग ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
भारत में भी ऐसी कई सुपर मॉम हैं, जिन्होंने अपने देश को उच्चतम स्तर पर गौरवांवित किया है। खेलढाबा.कॉम को आपको ऐसी भारतीय सुपर मॉम के बारे में बताने जा रहा है।
मैरी कॉम
मैरी कॉम चार बच्चों की मां हैं। भारतीय खेल जगत में में सुपर मॉम की मिसाल हैं। बॉक्सिंग रिंग में अपनी उपलब्धियों के लिए ‘मैग्नीफिसेंट मैरी’ के रूप में भी जानी जाने वाली मैरी कॉम भारत की अब तक की सबसे बेहतरीन मुक्केबाजों में से एक हैं।
कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद मैरी कॉम ने साल 2005 में फुटबॉलर करुंग ओंखोलर से शादी की और दो साल बाद वह जुड़वा बच्चों की माँ बनीं। उनके बच्चों का नाम रेचुंगवार और खुपनेवर है। लेकिन उन्हें रिंग में वापसी करने में देर नहीं लगी और अगले ही साल उन्होंने 2008 की एशियाई महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।
उसी वर्ष उन्होंने चीन में महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में लगातार अपना चौथा स्वर्ण पदक जीता।
उनका प्रदर्शन लगातार बेहतरीन होता गया और लंदन 2012 ओलंपिक में उनके पदकों की लाइब्रेरी में कांस्य पदक भी आ गया। मैरी कॉम के लिए कांस्य पदक जीतना भी बड़ी उपलब्धि के बराबर था।
मैरी कॉम ने एक साक्षात्कार में कहा था कि लोग सोचते थे कि मैं तभी जीत सकती हूं जब तक मैं शादीशुदा नहीं थी। लेकिन शादी और बच्चे होने के बाद भी मैं जीतती रही। हां, मुझे संघर्ष करना पड़ा क्योंकि बच्चे होने के बाद वापसी करना आसान नहीं होता है। लेकिन भगवान ने मुझे बहुत खास बनाया है। मैंने फैसला किया कि जब तक मैं इसे हासिल नहीं कर लेती, मैं नहीं छोड़ूंगी।
साल 2013 में मैरी कॉम ने तीसरे बच्चे प्रिंस चुंगथांगलन को जन्म दिया। लेकिन वह ठहरी नहीं और दोबारा फिर रिंग में शानदार वापसी की और दक्षिण कोरिया के इंचियोन में साल 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।
साल 2018 में मैरी कॉम ने मेरिलन नाम की एक बेटी को गोद लिया। संयोग देखिए उसी समय मैरी ने अपना छठा विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक जीता था, जो एक रिकॉर्ड है।
उन्होंने आगे बताया कि जब हम एक लड़की को गोद लेने की बात कर रहे थे, मेरिलन हमारे जीवन में आ गई। 26 नवंबर 2018 को मेरे साथ दो अच्छी चीजें हुईं। पहला मैंने दिल्ली में विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और दूसरा मेरिलन मेरी जिंदगी में आई। मैं आंसुओं में पोडियम पर खड़ी थी, मुझे अपनी नन्हीं बच्ची को पकड़ने का इंतजार था। अब मैं कह सकती हूं कि मेरा परिवार पूरा हो गया है। दिलचस्प बात ये भी है कि मैरी कॉम का ओलंपिक पदक और अन्य अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां उनके मां बनने के बाद ही आईं हैं।
सानिया मिर्जा
टेनिस सनसनी से मशहूर सानिया मिर्जा कई युवा एथलीटों के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने छह ग्रैंड स्लैम खिताब (डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में) जीते हैं और 2013 में सिंगल्स से संन्यास लेने तक वह भारत की नंबर-1 सिंगल्स टेनिस खिलाड़ी भी थीं। 2010 में उन्होंने पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी की और इस जोड़ी को अक्टूबर 2018 में एक बच्चा इजहान हुआ।
सानिया मिर्जा जल्द ही ट्रेनिंग पर लौटीं और खुद को प्रतियोगिता के लिए तैयार किया। इस दौरान उन्होंने 26 किग्रा वजन कम किया। दिसंबर 2019 में उनका चयन भारतीय फेड कप के लिए पांच सदस्यीय टीम में हुआ। हालांकि अक्टूबर 2017 में मातृत्व अवकाश लेने के बाद जनवरी 2020 में हुए होबार्ट इंटरनेशनल में उन्होंने पहली बार प्रतिस्पर्धी टेनिस इवेंट में भाग लिया था।
यह तो महज एक परी-कथा की शुरुआत भर थी, उन्होंने WTA के फाइनल में शुआई पेंग और शुआई झांग को सीधे सेटों में हराकर अपने साथी नादिया किचेनोक के साथ डबल्स ट्रॉफी पर कब्जा किया। यह उनका 42वां डब्ल्यूटीए डबल्स खिताब था।
सितंबर 2021 में सानिया मिर्जा ने मां बनने के बाद दूसरी बार अपनी चीनी साथी शुआई झांग के साथ ओस्ट्रावा ओपन महिला डबल्स का खिताब जीता। सानिया मिर्जा ने साल 2022 के अंत में प्रतिस्पर्धी टेनिस से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया।
दीपिका पल्लीकल
वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप -10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला दीपिका पल्लीकल भारतीय स्क्वैश की पोस्टर गर्ल हैं। दीपिका पल्लीकल ने 2013 में भारतीय क्रिकेटर दिनेश कार्तिक से शादी की और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। तीन बार की कॉमनवेल्थ और चार बार की एशियाई खेलों के पदक विजेता रहीं। हालांकि 2018 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में उन्होंने सिंगल्स में कांस्य पदक जीता और उसके बाद वह खेल से दूर हो गईं।
दीपिका पल्लीकल ने 18 अक्टूबर 2021 में जुड़वा बच्चों कबीर और जियान को जन्म दिया और साल 2022 में वापसी करने का फैसला किया।
ग्लासगो में वर्ल्ड डबल्स स्क्वैश चैंपियनशिप में दीपिका पल्लीकल ने तीन साल के लंबे समय के बाद कोर्ट में वापसी करते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने जोशना चिनप्पा के साथ महिला सिंगल्स और सौरव घोषाल के साथ मिक्स्ड डबल्स का स्वर्ण पदक जीता।
ये विश्व चैंपियनशिप में भारत का पहला स्वर्ण पदक था।
पीटी उषा
पीटी उषा किसी परिचय की मोहतास नहीं है। वह भारत की अब तक की सबसे महान स्प्रिंटर्स में से एक हैं। उन्होंने लॉस एंजिल्स 1984 में 400 मीटर बाधा दौड़ में भारत को लगभग ओलंपिक पदक दिलाया था। वह एशियाई स्तर पर नंबर एक थीं, उन्होंने एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में भी पदक जीते थे।
साल 1991 में पीटी उषा ने वी श्रीनिवासन से शादी की और एक साल बाद दंपति को एक बच्चा हुआ। अगले तीन साल तक उन्होंने खुद को एथलेटिक्स से दूर रखा। साल 1994 में उन्होंने वापसी करने का फैसला किया और अपने पति की देखरेख में ट्रेनिंग शुरू की। उसी साल उन्होंने हिरोशिमा में हुए एशियाई खेलों में भाग लिया और 200 मीटर में चौथे स्थान पर रहीं। लेकिन 4×400 मीटर रिले में उन्होंने जी.वी. धनलक्ष्मी, शाइनी विल्सन और कुट्टी सरम्मा के साथ मिलकर रजत पदक पर कब्जा किया।
पीटी उषा ने 1998 में जापान में फुकुओका एशियाई चैंपियनशिप में चार पदक जीते। जिसमें 4×100 मीटर रिले में एक स्वर्ण, 4×400 मीटर रिले में एक रजत और 200 मीटर और 400 मीटर में एक-एक कांस्य पदक शामिल थे।
वास्तव में फुकुओका में 200 मीटर में पीटी उषा ने 23.27 सेकेंड का समय निकाला था, जो उनके एशियाई खेल 1986 के स्वर्ण पदक में निकाले गए समय 23.44 सेकेंड से भी बेहतर था।
सुमा शिरूर
सुमा शिरूर पूर्व भारतीय निशानेबाज हैं, जिन्होंने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में भाग लिया था। उन्होंने एक आर्किटेक्ट सिद्धार्थ शिरूर से शादी की है और इस जोड़ी को 2001 में एक बच्चा हुआ था।
अपनी डिलीवरी के पांच महीनों के भीतर ही उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय निशानेबाजी टीम के साथ 40 दिनों की यूरोपीय यात्रा शुरू की। इस दौरे के दौरान बाल्टिक कप में शिरूर ने स्वर्ण पदक जीता था।
सुमा शिरूर ने एथेंस 2004 ओलंपिक में भाग लिया, जहां वह आठवें स्थान पर रहीं। उसी वर्ष उन्होंने एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में क्वालिफिकेशन राउंड में अधिकतम 400 अंक प्राप्त करके विश्व रिकॉर्ड बनाया।
साल 2002 में मैनचेस्टर में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण सहित उनके सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पदक माँ बनने के बाद आए।
प्रमिला अयप्पा
प्रमिला अयप्पा शीर्ष भारतीय हेप्टाथलॉन एथलीट थीं, जिन्होंने 2000 में हुए ओलंपिक खेलों में पहली बार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। हालांकि वह एथेंस 2004 में जगह बनाने से चूक गईं, जिससे उनका दिल टूट गया।
2005 में माँ बनने के बाद प्रमिला ने नए सिरे से वापसी की और अपने सपने को पूरा करने में कामयाब रहीं।
लगभग एक साल की कठिन ट्रेनिंग के बाद उन्होंने वापसी की और बीजिंग 2008 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने के उद्देश्य से अपनी कड़ी मेहनत जारी रखी। 18 जुलाई 2008 को भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) बेंगलुरु में हुए नेशनल कंबाइंड इवेंट के दौरान उन्होंने ओलंपिक क्वालीफिकेशन के मार्क को तोड़ते हुए बीजिंग के लिए टिकट बुक करवा लिया। हालांकि वह वहां 27 वें स्थान पर रहीं।
दो साल बाद 33 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास लेने से पहले एशियन गेम्स 2010 में कांस्य पदक जीता।
रचिता मिस्त्री
रचिता मिस्त्री ओडिशा की अर्जुन पुरस्कार विजेता स्प्रिंटर हैं, जिनके नाम कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां दर्ज हैं। साल 1995 में उन्हें जब पता चला कि ट्रेनिंग के दौरान बेहोश होने के बाद वह गर्भवती थीं।
रचिता ने मीडिया को बताया था कि एक बार भी मुझे नहीं लगा कि मुझे बच्चा नहीं करना चाहिए था। वास्तव में मैं हमेशा कहती हूं कि मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने सही समय पर अपने बच्चे को जन्म दिया। उसके बाद मैंने बेहतर से भी बेहतर हासिल करना शुरू किया। मैं मां बनना चाहती थी। मैं माँ बन गई। मैं अपनी बेटी के लिए वो सारे काम करना चाहता थी (इसलिए) मैंने किया।”
अपने बच्चे के जन्म के चार साल बाद उन्होंने 100 मीटर में पीटी उषा के 11.38 सेकेंड समय के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया, जो 2016 में दुती चंद के 11.33 सेकेंड से 16 साल पहले बनया गया था। रचिता मिस्त्री ने कई बार कहा था कि उनका लक्ष्य अपनी आदर्श पीटी से भी तेज बनना था।
इससे पहले भी रचिता मिस्त्री 1997 में राष्ट्रीय चैंपियन बनी थीं और अगले वर्ष उन्होंने एशियाई खेलों में 100 मीटर में कांस्य पदक जीता था। दरअसल 1998 में उन्हें पीटी उषा के साथ 1998 की एशियाई चैंपियनशिप में 4×100 मीटर रिले में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला और टीम ने स्वर्ण पदक जीता। उसी वर्ष रचिता मिस्त्री को भारत सरकार द्वारा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 23.10 सेकेंड का समय निकालकर पीटी उषा के 200 मीटर के रिकॉर्ड को भी तोड़ा, जिसे बाद में 2002 में सरस्वती साहा ने तोड़ा था।
मदर्स डे के बारे में
प्राचीन ग्रीस और रोम में देवी रिया और साइबेले की देवी का सम्मान करने वाले त्योहार आमतौर पर मनाए जाते थे। आधुनिक समय में मदर्स डे की अवधारणा 1914 में स्थापित की गई, जब संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को आधिकारिक तौर पर मदर्स डे के रूप में मान्यता देने वाले प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। वह परंपरा आज भी जारी है।