पटना। पटना जिला क्रिकेट संघ की मंशा पटना में क्रिकेट को आगे ले जाने की नहीं है। गर्मी के मौसम में क्रिकेट लीग कराने की घोषणा करना कहीं से उचित नहीं है। पटना जिला क्रिकेट संघ में चल रहे विवाद पर विराम तो काफी पहले लग चुका था पर लीग कराने में इतनी देर क्यों हुई। क्या पटना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारीगण चिर निद्रा में सोये हुए थे क्या। नहीं वे जगे हुए थे पर उनकी मंशा क्रिकेट को ले जाने की नहीं है। ये बातें खेलढाबा.कॉम से विशेष बातचीत में पटना जिला क्रिकेट संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष सुनील रोहित ने कही।
उन्होंने कहा कि जब से नई कमेटी बनी यानी वर्ष 2008 से अबतक कितने सत्र में पूरी लीग का सफल संचालन हो पाया। संघ के पदाधिकारी हर वर्ष क्लबों से फॉर्म भरवाते हैं। फॉर्म भरने की फी भी लेते हैं और लीग अपने अंतिम मुकाम पर नहीं पहुंच पाता है। इन सबों का हिसाब पटना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारियों को क्लबों को देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लीग न कराने के बहाने पटना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी नहीं बना सकते हैं। वे अगर इन कार्यों में सक्षम नहीं है तो अपने पद से त्यागपत्र दें और चुनाव करायें। नई कमेटी आयेगी और काम करेगी।
सुनील रोहित ने कहा कि ऐसे भी चुनाव कराने का टर्म तो कब का पूरा हो चुका है पर पदाधिकारी अपने पद पर जमे हुए हैं। पटना जिला क्रिकेट संघ के पदाधिकारी दूसरों को नियमों का पाठ पढ़ाते हैं पर खुद उसको अमलीजामा नहीं पहना पाते हैं। पदाधिकारियों को चाहिए सारे क्लबों की अतिआवश्यक बैठक जल्द बुलाएं और चुनाव कराने का ऐलान करें।
उन्होंने सारे पदाधिकारियों से कहा कि जबसे आपने गद्दी संभाली है क्लबों से पैसे, रजिस्ट्रेशन फी समेत सारी चीजों का हिसाब दें। जिस साल लीग हुआ ही नहीं या पूरा नहीं हुआ उन सालों का पैसा क्लबों को वापस किया जायए। उन्होंने कहा कि सारे कामों में पारदर्शिता हो। सारी चीजों से हर लोग अवगत हों।