
पटना। गया शहर में जन्मा यह क्रिकेटर मगध की धरती का है सिरमौर। नाम है मंगल कुमार महरौर और क्रिकेट पिच पर आने के बाद विपक्षी खेमे के लिए अमंगल साबित होता है। तो आईए जानते हैं इस शख्स के बारे में-
गया के रहने वाले मंगल कुमार महरौर ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत गली-मोहल्ले में की। किसी ने कहा कि अच्छा खेलते हो क्यों नहीं गांधी मैदान में जाकर खेलते हो। लोगों की बात मानकर मंगल गांधी मैदान में चले गए। वहां अविनाश सिंह ने उसे तराशा और फिर चल पड़ मंगल का क्रिकेट कैरियर। पहले स्कूल, फिर जिला और राज्य क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर मंगल आज बिहार में नामी क्रिकेटरों में शुभार हैं।


मंगल ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा आयोजित अंडर-19, अंडर-22 और रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में शिरकत की। सत्र 2018-19 में उन्होंने बिहार की ओर से रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया था जबकि विगत सत्र में रेलवे की ओर से खेला।
सचिन तेंदुलकर को अपना आदर्श मानने वाले मंगल कुमार महरौर रणजी ट्रॉफी के डेब्यू मैच में एक रिकॉर्ड कायम किया। डेब्यू मैच में सर्वाधिक स्कोर करने वाले पहले खिलाड़ी बने। उन्होंने नागालैंड के खिलाफ खेले गए मैच में 177 रनों की पारी खेली थी। उन्होंने प्रथम श्रेणी के पांच, लिस्ट ए के दो और टी-20 के छह मैच खेले हैं। लिस्ट ए में उच्चत्तम स्कोर 44 और टी-20 में उच्चत्तम स्कोर 33 है।


राइट हैंड बैट्समैन मंगल कुमार महरौर सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और अपने सभी कोच सुब्रतो बनर्जी, हरविंद सिंह (रेलवे), तरुण कुमार भोला, अशोक कुमार, तारिक उर रहमान, अपने परिवार के अन्य सदस्य व दोस्तों व रेलवे के सहयोगियों व अधिकारियों को देते हैं। इन सबों ने हमें काफी सपोर्ट किया।
घरेलू क्रिकेट में मंगल कुमार महरौर ने पहले गया में क्रिकेट लीग खेला। इसके बाद रेलवे में नौकरी होने के बाद रेलवे दानापुर की ओर से खेलते हुए पटना जिला का प्रतिनिधित्व किया। इनके परिवार का रेलवे से गहरा नाता है। दादा स्व. योगेश्वर प्रसाद सिंह, बड़े पिता मिथिलेश सिंह और खुद मंगल के पिताजी उमेश कुमार सिंह रेलवे में कार्यरत रहे हैं। मंगल भी रेलवे में नौकरी कर रहे हैं।


मंगल कहते हैं कि आज जो भी कुछ हूं वह क्रिकेट की वजह से हूं। क्रिकेट ही मेरे लिए सबकुछ हैं। उनका बिहार से अथाह प्रेम है और मेरी इच्छा है कि हमेशा बिहार की ओर से हमेशा खेलूं।