मुंबई, 6 जून। चेतेश्वर पुजारा को आउट करने का सवाल हमेशा टीम के बीच चर्चा का केंद्र रहा है। सवाल यह रहता था कि इस बल्लेबाज को कैसे मैदान से बाहर किया जाए, क्योंकि वह आराम से दो-तीन दिन टिक सकता था। जूनियर क्रिकेट के दिनों में रोहित शर्मा और उसके साथी इसी पर बात करते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि पुजारा का बल्ला बहुत खतरनाक है।
रोहित ने एक बार कहा कि पुजारा का विकेट लेना अक्सर मैच का परिणाम बदल सकता था। वह बल्लेबाज अपने समय में बहुत मजबूत था। उसने 103 टेस्ट में 7,195 रन बनाए हैं, जिसमें 19 शतक और 35 अर्द्धशतक शामिल हैं। उसकी औसत 43.60 है।
गुरुवार को पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ़’के विमोचन के अवसर पर रोहित शर्मा ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरे पास अभी भी वह समय याद है जब टीम बैठकें सिर्फ उसको आउट करने की रणनीति पर होती थीं। यदि हम उसे आउट नहीं कर पाते थे, तो हम मैच हार सकते थे।
मेरी मां मेरा चेहरा देखकर परेशान हो जाती थीं
पूर्व कप्तान ने मजाक में कहा कि पुजारा के खिलाफ खेलने से उनका हाव-भाव इस तरह बदल जाता था कि उनकी मां भी परेशान हो जाती थीं। उन्होंने बताया, मुझे याद है कि जब मैं 14 साल का था और मैदान से लौटता था, तो मेरा चेहरा बिलकुल ही बदल चुका होता था। रोहित ने कहा कि पुजारा पूरे दिन बल्लेबाजी करता था, और हमें दो-तीन दिन तक धूप में फील्डिंग करनी पड़ती थी। वह मैच के दौरान बहुत पसीना बहाता था। अभी भी याद है कि उसकी मां ने कई बार पूछा, ‘तुम घर जाकर कैसे दिखते हो?’जब वह एक हफ्ता या दस दिन बाद घर लौटता था। रोहित ने बताया कि मैं कहता था, मां मैं क्या करूं? चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है। वह तीन दिनों से खेल रहा है। यही हमारी पहली धारणा थी।”
पुजारा की वजह से मैं खेल पाया 100 टेस्ट मैच
उन्होंने कहा कि चेतेश्वर पुजारा वजह से वह 100 टेस्ट मैच खेल पाये। उन्होंने कहा कि अपने कैरियर के शुरुआती दिनों में दोनों घुटनों में ACLचोट की वजह से परेशान था। यह चोट बहुत बड़ी थी और गंभीर थी। दोनों ACL टूट गई थीं। किसी खिलाड़ी के लिए यह बहुत मुश्किल होता है कि वह अपनी दोनों ACL गंवा दे। फिर भी वह भारत के लिए 100 से अधिक टेस्ट मैच खेलने में सफल रहा। इसका पूरा श्रेय पुजारा को जाता है।
यह सीरीज काफी कठिन था : पुजारा
इस मौके पर पुजारा ने 2016-17 की भारत-ऑस्ट्रेलिया बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को अपनी सबसे कठिन श्रृंखला बताया। पुजारा ने कहा कि मैं एक घटना का जिक्र कर सकता हूं। जब 2017 में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200 रन के आसपास आउट हो रही थी, तो वह मेरे कैरियर का सबसे मुश्किल दौर था। उन्होंने कहा कि यह मैच बेंगलुरु में खेला गया था। पहली पारी में टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी, और दूसरी पारी भी कठिनाई से भरी थी। उन्होंने अपने कोच अनिल कुंबले से पूछा कि नाथन लियोन का सामना कैसे करें। उन्होंने तकनीक का सुझाव दिया, जिससे उन्हें फायदा हुआ। पुजारा और रोहित दोनों ने अपने माता-पिता के समर्थन को याद किया।


पुजारा ने कहा कि जब मैं 17 साल का था, मेरी मां का निधन हो गया था। पर मेरे पिता ने मेरी पूरी मदद की। पूजा ने भी अपनी किताब में इसे बखूबी लिखा है। मेरी मां ने मुझसे कहा था, ‘तुम अच्छा इंसान बनो, उससे पहले। रोहित ने कहा कि मुझे अपने माता-पिता का पूरा समर्थन मिला है। उन्होंने अपने त्याग से मुझे और मेरे भाई को अच्छा होने का मौका दिया।