पटना। आजकल बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के हुक्कमरान मेंटनेस में व्यस्त हैं। उनकी व्यस्तता इतनी बढ़ गई है कि इस सत्र में खेल शुरू करने की फुर्सत ही नहीं है। फुर्सत हो भी कैसे नजरें तो कुर्सी पर टिकी हैं और सारे मेंटनेस के कार्य उसी के लिए चल रहे हैं। ये हम नहीं बिहार क्रिकेट के जानकार और अंदरखाने के लोग कहते हैं। चलिए बात मेंटनेस की ही कर लेते हैं, आखिर कौन-कौन से मेंटनेस के कार्य चल रहे हैं।

पहली बात उस मेंटनेस की। जैसा मैसेज आपको कई महीनों से देखने को मिल रहा है यानी बेबसाईट की। इतने दिनों में मेंटनेस तो छोड़िए नया ही बन जाता पर यहां तो मेंटनेस ही चल रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की ऑफिसियल वेबसाइट की। जब आप बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की ऑफिसियल वेबसाइट को लॉग इन करेंगे तो ओपन होने पर एक बड़े टेम्पलेट पर मैसेज दिखेगा-website is under maintenance, please come back letter, असुविधा के लिए खेद है। इसमें मेंटनेस क्या हो रहा है पता नहीं। हर बार खोलने पर वैसा पुरानी ही चीजें दिखती हैं। आप किसी भी कैटेगरी को खोलेंगे तो कोई परिवर्तन नहीं दिखेगा।

चलिए अब बात करते हैं। दूसरे मेंटनेस की। खाता-बही यानी वहीं आमदनी-खर्चा और कुर्सी की रक्षा का मेंटनेस। यह खाता-बही मेंटन हो रहा है जिलों का। कुछ का मेंटनेस कार्य पूरा हुआ है वह दिखाई पड़ा रहा है। वह मेंटनेस करना सही या गलत यह नहीं कह सकते। बाकी का कबतक खत्म होगा इसका कोई अता पता नहीं। किसी से भी पूछेंगे तो यही कहेगा काम प्रोग्रेस में है कब खत्म होगा यह पता नहीं। जबतक यह खत्म नहीं होगा जिलों में जो चुनावी प्रक्रिया होनी है (बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारी जैसा बोलते हैं) वह शुरू ही नहीं होगी। जब जिलों में चुनाव नहीं, तो फिर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव भी शायद नहीं यानी गद्दी कायम। यह काम सही या गलत है इस पर कोई टिप्पणी नहीं पर लोग तो यही कहते हैं कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को जिला में दखल देना सरासर गलत और असंवैधानिक है।

तीसरा मेंटनेस है सपोर्ट स्टॉफ का। क्रिकेट के जानकारों के अनुसार इसमें भी लगता है मेंटनेस का काम चल रहा है। कैसा मेंटनेस ? यह नहीं बता सकते हैं। देश के कई राज्यों में नये सत्र की तैयारी बहुत पहले शुरू हो चुका है पर बिहार में इसका बिगुल कब बजेगा पता नहीं। खेल का बिगुल बजने के लिए जरूर है कि पहले सपोर्ट स्टॉफ की नियुक्ति की जाए। वैकेंसी निकल गई, आवेदन भी आये ही होंगे। आवेदन करने की तारीख खत्म हो चुकी है। 23 जुलाई ही आखिरी तारीख थी। लगभग 8 दिन बीत चुके हैं पर किसकी नियुक्ति हुई अबतक अनाउंसड नहीं हो पाया है।

इस तरह के कई और भी मेंटनेस कार्य हैं जो चल रहे हैं। खास कर कुर्सी की कवायद को लेकर। इसमें किसी के पर कतरे जा रहे हैं। गड़े मुर्दे उखाड़े जा रहे हैं। खैर जो भी पर हुक्कमरानों द्वारा मेंटनेस कार्य की व्यस्तता के कारण खेल गतिविधियां को शुरू करने में जो व्यवधान है उसे लेकर यहां के क्रिकेटरों, क्रिकेट प्रेमियों और जिला संघ के पदाधिकारियों को काफी खेद और उसमें रोष भी है पर वे बोलेंगे नहीं। क्रिकेटर इसीलिए नहीं बोलेंगे चूंकि उन्हें कैरियर दांव पर नहीं लगाना है। उसी तरह जिला संघ के पदाधिकारी भी नहीं बोलेंगे चुनावी वर्ष है पता नहीं कब कौन विपत्ति गिर पड़े। अब तो बस इंतजार कीजिए हुक्कमरानों की व्यस्तता खत्म होने का।





