पटना। शनिवार ( 29 अगस्त) को खेल दिवस पर बिहार के खिलाड़ी बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी के नेतृत्व में विभिन्न मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया।
बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि सरकार 29 अगस्त खेल दिवस के दिन खिलाड़ियों को खानापूर्ति के लिए सम्मानित तो कर देती है लेकिन जो भी घोषणाएं पहले होती रही है सर जमीन पर कोई नहीं आज तक उतर पाया।
उन्होंने कहा कि पिछले 6 वर्षों से सरकारी नौकरी में खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया बंद है। क्यों बंद है सरकार ने आज तक जानना नहीं चाहा। यह माननीय मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जब इसका यह हाल है बाकी का तो भगवान भरोसे है।

जब सरकार की योजना है कि प्रत्येक वर्ष प्रत्येक खेल से 5 खिलाड़ियों की नियुक्ति की जाएगी। अप्रैल माह में विज्ञापन निकलेगा अगस्त माह तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी तो फिर 2014- 15 में जो विज्ञापन निकला इसमें आवेदन करने वाले खिलाड़ियों को अभी तक 6 वर्षों से क्यों लटका कर रखा गया है। इनका भविष्य चौपट हो रहा है जिन अधिकारियों ने पिछले 6 वर्षों से नियुक्ति प्रक्रिया को बंद रखा है और खिलाड़ियों के भविष्य को अंधकार में कर दिया है उन पर सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। अभी सरकार ने नियुक्ति के लिए सिर्फ 12 खेल को ही शामिल किया है यह अन्याय है। जिन-जिन खेलों के खिलाड़ियों को सरकार सम्मानित करती है, अनुदान देती है, खेल कैलेंडर में उस खेल को शामिल करता है और जब नियुक्ति देने की बारी आती है तो सरकार भेदभाव करती है

उन्होंने कहा कि सिर्फ 12 खेल के खिलाड़ियों की नियुक्ति यह किसी भी तरह से खेल खिलाड़ियों के प्रति सरकार का अन्याय है। बिहार प्लेयर्स एसोसिएशन लगातार सरकार के खेल व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग करती रही है हर बार आश्वासन देकर सरकार ने धोखा दिया है। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि 2014- 15 में जो अंतिम विज्ञापन निकला था नियमानुसार जिन-जिन खेल के खिलाड़ियों ने आवेदन दिया है उनकी नियुक्ति जल्द की जाए।

उन्होंने कहा कि खेल की आधारभूत संरचना का बुरा हाल है। फिजिकल कॉलेज वर्षो से बंद पड़े हैं। सरकार की खेल नीति फाइलों में ही बंद है। धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता। बिहार में खेल-खिलाड़ियों की स्थिति दयनीय है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने 15 अगस्त को घोषणा किया खिलाड़ियों की नियुक्ति होगी। पहले मुख्यमंत्री जी यह बताएं कि पांच-छह वर्षों से आखिर खिलाड़ियों की नियुक्ति प्रक्रिया क्यों बंद थी। इसके लिए कौन जिम्मेवार है। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। स्टेडियम के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च हो गए। कहीं कोई स्टेडियम मानक स्तर पर दिखाई नहीं दे रहा। खेल सम्मान के नाम पर खिलाड़ियों को लॉलीपॉप दिखाकर सरकार एक ही घोषणाओं को बार-बार करके अपनी पीठ थपथपा ती है। हकीकत में खेल खिलाड़ियों का राज्य में बुरा हाल है। खेल से खिलवाड़ होता है अधिकारी पदाधिकारी दूध पी रहे हैं। खिलाड़ियों से भूखे पेट नंगे पांव दौड़ाकर पदक लाने की उम्मीद करते हैं इसलिए खिलाड़ियों का आक्रोश पटना की सड़कों पर दिख रहा है।