
सबा परवीन
मोतिहारी। दोस्तों के साथ यूं ही कैरम खेलता था, फिर लगा क्यों न इसे लगन और दृढ़संकल्प के साथ खेला जाए और शुरू हो गया पश्चिमी चंपारण के खुदानगर के हाजी मुदस्सिर के पुत्र मोबस्सिर का खेल कैरियर। मोबस्सिर ने अपनी अंगुलियों की करामात से राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते और इसी खेल की बदौलत उन्हें नौकरी मिली फिर खेल से अभी उतना ही प्यार है।

मोबस्सिर का कैरम से लगाव वर्ष 1996 में मोतिहारी के स्पोट्र्स क्लब में हुआ। इसके बाद जिला स्तरीय प्रतियोगिता खेली और फिर राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और खिताब जीत कर राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बिहार टीम का प्रतिनिधित्व करने लगे।
पहले सबजूनियर, फिर जूनियर, फिर यूथ और फिर सीनियर। वर्ष 1999 में त्रिवेंद्रम में आयोजित सबजूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उपविजेता बने। वर्ष 2004 में अखिल भारतीय यूथ कैरम प्रतियोगिता (देवघर) में भी वे उपविजेता रहे।

राज्य स्तर पर उन्होंने जमशेदपुर में वर्ष 2000 में आयोजित प्रतियोगिता में कुमार आदर्श के साथ मिल कर अपने जिला के लिए युगल खिताब जीता। वर्ष 2001 में राजीव रंजन के साथ मिल कर पूर्वी चंपारण को एक मेडल दिलाया।

मोबस्सिर को बेहतर खेल कैरियर की बदौलत खेल कोटा के आधार पर नौकरी मिली और वर्तमान समय में पूर्वी चंपारण के चकिया अंचल में कार्यरत हैं। मोबस्सिर का कहना है कि विभागीय व्यस्तता के कारण अभी थोड़ा अभ्यास में कमी आया है पर खेल जारी रहेगा और पदक भी जीतने का पूरा प्रयास करुंगा।