पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी गण कहते हैं कि सकारात्मक सोच रखिए। हम पूरी तरह ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं और सबकुछ पारदर्शी है। सारी चीजें साफ सुथरी हो रही है।
पर सवाल यह उठता है कि कैसे लोग बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के प्रति सकारात्मक सोच रखे। कैसे समझे कि सबकुछ साफ सुथरे तरीके से हो रहा है। ये नकारात्मक पर नकारात्मक काम करते जाएं और दूसरे लोगों को सकारात्मक सोच रखने का उपदेश देते रहे हैं। ताजा मामला मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 के लिए घोषित बिहार क्रिकेट टीम का है।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के जिला प्रतिनिधि प्रमुख सह संघ द्वारा क्रिकेटिंग गतिविधियों को संचालित करने के लिए अधिकृत संजय कुमार सिंह के हस्ताक्षर से बिहार टीम की घोषणा की गई। इस 23 सदस्यीय टीम लिस्ट में 22वें नंबर पर प्रत्यूष सिंह का नाम है।
प्रत्यूष सिंह का नाम उस लिस्ट में कहीं नहीं है जिसे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने ट्रायल मैच के लिए घोषित किया है। आखिर यह खिलाड़ी ऊपर से कैसे टपक गया। इस खिलाड़ी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। कोई कह रहा है कि यह प्लेयर झारखंड का रहने वाला है तो कोई कह रहा है कि बिहार का ही रहने वाला है। खबर है कि यह खिलाड़ी इसके पहले अपने प्रदेश समेत एक अन्य राज्य की ओर से खेल चुका है। खिलाड़ी कहीं के रहने वाले हों पर नियम तो नियम होता है।
जब इस खिलाड़ी का नाम ट्रायल मैच के लिए घोषित टीम लिस्ट में नहीं है इसका मतलब साफ है कि इस खिलाड़ी ने सेलेक्शन ट्रायल में भी हिस्सा नहीं लिया होगा। इसका सीधा अर्थ यही होता है कि या तो खिलाड़ी बहुत बड़ा है या इसे टीम में शामिल करने की जुगाड़ तगड़ी है। कुछ न कुछ तो बड़ा या तगड़ा है तभी तो इसकी टीम में डायरेक्ट इंट्री हो गई।
गौरतलब है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी टी20 में भाग लेने के लिए पहले चार दिवसीय सेलेक्शन ट्रायल का आयोजन किया था। सेलेक्शन ट्रायल के बाद ट्रायल मैच के लिए पांच टीम बना कर 70 प्लेयरों का लिस्ट जारी किया गया था। इसके बाद हर टीम में दो-दो प्लेयरों ( एक टीम में तीन प्लेयर) का नाम और जोड़ा गया था। यानी कुल मिला कर 81 प्लेयरों का लिस्ट जारी किया और इन 80 प्लेयरों में प्रत्यूष सिंह का नाम नहीं है।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा ऐसे क्रियाकलाप कोई पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी बिना लिस्ट में नाम रहे डायरेक्ट इंट्री मिलती रही है। डायरेक्ट इंट्री वाले डायरेक्ट टीम में जगह बनाते रहे हैं और मैचों में परफॉरमेंस करने वाले बाहर का रास्ता देखते रहे हैं।
अंत में, आखिर क्यों छिनी बाबुल से उपकप्तानी
आखिर क्या वजह हुई कि बाबुल कुमार से उपकप्तानी छिन ली गई। वह टीम के सीनियर प्लेयर हैं। परफॉरमेंस भी ठीक रहा है। बिहार क्रिकेट लीग में उनकी कप्तानी में दरभंगा की टीम ने ट्रॉफी जीती है। वे मैदान पर और बाहर में सौम्य व्यवहार रखते हैं। इसके अलावा जिस खिलाड़ी अंडर-19 में विकेट चटकाने का रिकॉर्ड स्थापित किया हो। उन्हें इस कार्य के लिए बीसीसीआई ने सम्मानित किया है पर चयन नहीं। चयन होगा भी कैसे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को किसी और को जो आनंदित करना था।
जवाब तो देना होगा हूजूर
टीम में डायरेक्ट इंट्री कैसी हुई। रन मशीन शशीम राठौर को बाहर क्यों रखा गया। बाबुल की उपकप्तानी क्यों गई। बिना परफॉरमेंस वाले प्लेयरों की इंट्री हुई वह कैसे। क्या इन्हीं सब चीजों को अंजाम देने के लिए ट्रायल मैच का डाटा छुपा कर रखा गया। ट्रायल मैच अगर पैमाना तो विश्वजीत गोपाला, विजय वत्स समेत कई खिलाड़ियों को परफॉरमेंस अच्छा रहा है तो उनकी इंट्री क्यों नहीं।
खेलढाबा कभी भी किसी खिलाड़ी की प्रतिभा पर सवाल नहीं उठाता है। वह सवाल उठाता है उसके तत्कालिक परफॉरमेंस पर और साथ ही संघ के क्रिया कलापों पर। प्लेयर के परफॉरमेंस में उतार-चढ़ाव आता रहता है।