पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ कामों की अभी क्रिकेट जगत में खूब चर्चा हो रही है। ये मामले सीधे खिलाड़ियों से जुड़े हैं। लोगों का कहना है कि नई सरकार से काफी उम्मीद थी लेकिन अपने गठन के दो माह बीत जाने के बाद भी उनके द्वारा किये गए निर्णय खिलाड़ी हित या नियम के अनूकुल नहीं दिख रहे हैं।
नई सरकार बनी पर खिलाड़ियों की सुविधाएं नहीं बढ़ीं
पहला मामला है कि खिलाड़ियों की सुविधा को लेकर। दबी जुवान खिलाड़ियों का कहना है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा सेलेक्शन ट्रायल व कैंप आयोजित किये जा रहे हैं उसमें खिलाड़ियों को सुविधा के नाम पर सिर्फ दोपहर का भोजन है। इसका ताजा उदाहरण है वर्तमान समय में पटना में चल रहा रणजी कैंप। इसमें जो भी खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं उन्हें अपने पॉकेट को ढीला करना पड़ा है। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन केवल दोपहर में भोजन की सुविधा प्रदान कर अपनी ड्यूटी पूरी कर ले रहा है। क्रिकेट जानकारों का कहना है कि इस परंपरा को खत्म करनी होगी। वे कहते हैं कि जहां तक हमें जानकारी है कि किसी भी गेम के स्टेट टीम का कैंप लगता है तो उसमें खिलाड़ियों को सारी सुविधाएं एसोसिएशन द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। क्रिकेट में यह तो अवश्य होना चाहिए। इस गेम में तो पैसों की कमी का कोई मामला ही नहीं है।
सोनपुर मेले की टीम चयन पर उठ रहे सवाल
दूसरी चर्चा है सोनपुर मेले को लेकर घोषित प्रमंडलीय टीम का। लोगों का कहना है कि जब से इस टूर्नामेंट की शुरुआत हुई ऐसी टीम की घोषणा पहली बार की जा रही है। आम तौर पर यही होता रहा है कि पहले प्रमंडल स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित होती थी या सेलेक्शन ट्रायल आयोजित कर टीम भेजी जाती थी। उस टीम में संबंधित प्रमंडल के जिलों के खिलाड़ी हिस्सा लेते थे पर इस बार तो इस प्रमंडल का खिलाड़ी उस प्रमंडल से और उस प्रमंडल का खिलाड़ी इस प्रमंडल से खेलेंगे। सुना तो यह भी जा रहा है कि इसे बिहार रणजी टीम के चयन को लेकर ट्रायल मैच के रूप में आंका जायेगा। भाई 10-20 ओवरों के मैच से डेज मैच का सेलेक्शन होगा। साथ ही टीम घोषणा की यह प्रक्रिया सोनपुर मेले के अवसर पर होने वाले इस सरकारी आयोजन की थीम या उद्देश्य से भटका हुआ है।
सुनील कुमार अब भी संस्पेंशन की लिस्ट में क्यों
एक और बात जिस पर लोग चर्चा कर रहे हैं कि जब सुनील कुमार सस्पेंड नहीं तो बेवसाइट पर उनका नाम सस्पेंड की लिस्ट में क्यों है। वे अंडर-19 टीम कोच के रूप में बिहार टीम के साथ जुड़े हुए हैं। उनकी नियुक्ति भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा की गई है। नियुक्ति के समय उनके संस्पेंशन के मामले को बीसीए के तत्कालीन पदाधिकारियों ने उठाया था पर कागजात देने में असफल रहे थे। इसके बाद बीसीसीआई द्वारा गठित कमेटी ने उनकी नियुक्ति की थी। उनका कोच के रूप में परफॉरमेंस अच्छा रहा है। सबकुछ ठीक होते हुए भी सस्पेंशन की लिस्ट में डाला हुआ है। क्रिकेट जानकारों का कहना है कि बीसीए में अपनी व्यक्ति राय या सोच को संगठन की राय या सोच मान कर पदाधिकारी निर्णय ले लेते हैं जो पूरी तरह से गलत है।
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