पटना, 8 मार्च। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के क्रिकेट विकास और संचालन निदेशक (Director – Game Development & Cricket Operations) के पद पर इस बार एक बड़ा नाम आकर पद धारण किया है। नाम है आनंद यालविगी। पूरा नाम है आनंद रामराव यालविगी।
आनंद यालविगी फर्स्ट क्लास क्रिकेटर रहे हैं। कोच की भूमिका अदा की। स्टेट टीम के चयनकर्ता भी रहे हैं और इनके पास अपने मजबूत व्यवसाय, वित्त, विपणन, क्रिकेट विकास और प्रशासनिक कौशल का अपार अनुभव है पर बिहार क्रिकेट को पटरी पर लाना अबतक किये गए कार्यों में सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसा बिहार क्रिकेट जगत में चर्चा है।
यह भी तय है आनंद यालविगी भी चर्चाओं को जानते होंगे क्योंकि वर्तमान युग इंटरनेट का है और मिनटों में सारी चीजें वायरल होती है। अगर वह नहीं जानते होंगे तो धीरे-धीरे सारी खुद ब खुद जान जायेंगे।
सबसे पहले खेलढाबा.कॉम उन चुनौतियों के बारे में बताने जा रहा है जिनसे आनंद यालविगी का सामना होगा। सबसे बड़ी चुनौती घरेलू क्रिकेट का पूरा ना होना। वर्तमान समय बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के पदधारियों के कार्यकाल में बिहार में घरेलू क्रिकेट अपने अंतिम मुकाम तक नहीं पहुंच पाया। यह सही है कि शुरुआत के तीन साल लगभग कोरोना में बिता पर उसके बाद भी हाल नहीं सुधरा। वैसे वर्तमान सत्र का घरेलू सत्र शुरू हो चुका है। कहा तो जा रहा है कि इस बार हर फॉर्मेट के मैचों को अंतिम मुकाम तक पहुंचाया जायेगा। अब तक देखना है कि पूरा होता है या अधूरा रहता है।
दूसरी चुनौती बीसीसीआई टूर्नामेंट में सहभागिता के पहले ट्रेनिंग कैंप की खानापूर्ति को रोकना। खानापूर्ति तो छोड़िए। बिना कैंप की कई राज्य टीमें बीसीसीआई के टूर्नामेंट में इस सत्र में हिस्सा ली हैं। वर्तमान समय में चल रहे बीसीसीआई वीमेंस अंडर-23 वनडे ट्रॉफी में खेल रही बिहार टीम भी बिना किसी ट्रेनिंग कैंप के ही खेलने गई है। यानी ट्रेनिंग कैंप का आयोजन और ट्रायल मैच कराना भी इनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
तीसरी चुनौती है सेलेक्शन प्रक्रिया के दौरान। यों तो सेलेक्शन प्रक्रिया सेलेक्टरों की जिम्मेवारी है पर नन परफॉरमेंस प्लेयरों का सेलेक्शन होना, पैराशूट प्लेयरों की इंट्री। इंजुरी का बहाना बना बिना डोमेस्टिक क्रिकेट खेले प्लेयरों का सीधे कैंप में इंट्री। कंडीशनिंग कैंप के दौरान भारी संख्या प्लेयरों की इंट्री। एक बार लिस्ट जारी होने के बाद नामों के जुड़ने का क्रम जारी रहना। थोक भाव में टीमों में बदलाव होना। इन सारी चीजों को रोक पाने में आनंद यालविगी कितने सफल होंगे, यह तो गर्त में पर अगर वे इसे रोक लेते हैं तो बिहार क्रिकेट का कायापलट हो सकता है।
पर इन सभी गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए क्या आनंद यालविगी को पूरी छूट मिलेगी। इस सवाल पर बिहार क्रिकेट जगत मौन हो जाता है। बिहार क्रिकेट जगत मौन क्यों हो जाता है इसका सीधा जवाब यही है यह सारी चीजें अबतक होती रही हैं और यह सत्र तो और बिहार क्रिकेट संघ के चुनाव का है।
अब जरा आप आनंद यालविगी के बारे में जान लें। पिछले दो दशकों में एक क्रिकेट खिलाड़ी से नेतृत्व और प्रबंधन पेशेवर के रूप में उभरे आनंद यालविगी ने काफी सफलता प्राप्त की।
मजबूत व्यावसायिक कौशल, क्रिकेट विकास से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं पर काम किया और उनका नेतृत्व किया। उनके पास क्रिकेट अकादमियों और प्रतिभा खोज कार्यक्रमों की स्थापना का व्यावहारिक अनुभव है।
क्रिकेट संचालन और कोचिंग मानकों के बारे में व्यापक ज्ञान है। उच्चतम स्तर पर खेल खेलने के बाद, उच्च प्रदर्शन के लिए खिलाड़ियों को विकसित करने के लिए तकनीकों और विभिन्न मॉड्यूल की गहरी समझ रखते हैं आनंद यालविगी।
आनंद यालविगी का क्रिकेट कैरियर
भारतीय अंडर-15 टीम में प्रतिनिधित्व (1990/91)
भारतीय अंडर-19 टीम में प्रतिनिधित्व (1993/94)
मुंबई की जूनियर टीमों का प्रतिनिधित्व किया (1988-1994)
मुंबई रणजी टीम का प्रतिनिधित्व किया (1996 -97)
कर्नाटक रणजी टीम का प्रतिनिधित्व किया (1998 -2002)
महाराष्ट्र रणजी टीम का प्रतिनिधित्व किया (2002-2003)
द्लीप ट्रॉफी टीम का हिस्सा (1999-2000)
मुंबई जूनियर टीमों का चयन किया (2001-2002)
मुंबई रणजी टीम चयनकर्ता (2002-2003)
एपेक्स काउंसिल मुंबई का हिस्सा
योग्य लेवल I BCCI कोच
सहारा पुणे वारियर्स आईपीएल टीम का प्रबंधन किया – क्रिकेट रणनीति, स्काउटिंग, विकास
भारतीय क्रिकेट टीम के लिए टीम मैनेजर के रूप में शीर्ष 3 उम्मीदवारों में शॉर्टलिस्ट किया गया (2019)
प्रबंधन के तौर पर कार्य
कंसल्टिनिंग सीईओ : आईपीजी स्पोर्ट्स (लंका प्रीमियर लीग)
निदेशक खेल : डेंटसु एजिस मुंबई
मुख्य प्रबंधक: सहारा एडवेंचर स्पोर्ट्स -आईपीएल
वाइस प्रेसिडेंट : निम्बस स्पोर्ट्स
प्रेसिडेंट : IGNITEE स्पोर्ट्स
वाइस प्रेसिडेंट : हवास स्पोर्ट्स इंडिया
बिजनेस हेड : वीजीसी स्पोर्ट्स
संस्थापक और सीईओ : हैट्रिक स्पोर्ट्स मैनेजमेंट
भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर (आईआईएम) में अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्य
ऊपर जो आप डाटा देख रहे हैं या पढ़ रहे हैं यह इंटरनेट के जरिए विभिन्न स्रोतों से इकट्ठा किया गया है। इन आंकड़ों को देखने से यही लगता है कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने एक अच्छे अनुभवी व्यक्ति को पद पर बिठाया है। पर सवाल यही है कि क्या ये अपने अनुसार संविधान के दायरे में रह कर काम कर पायेंगे। सवाल पिछले अनुभवों और हालात को देखते हुए उठ रहे हैं। अब तो देखना है कि आनंद यालविगी अपने कुशल नेतृत्व के जरिए बिहार क्रिकेट के हालात को कितना बदल पाते हैं।