
शैलेंद्र कुमार
पटना। क्रिकेट जीवन है। क्रिकेट ही सबकुछ है। क्रिकेट के लिए अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं का परित्याग करने वाले शख्स का नाम है अधिकारी मदन मोहन प्रसाद। सभी लोग इन्हें अधिकारी एमएम प्रसाद के नाम से जानते हैं। 74 वर्षीय अधिकारी जी ने खेल को अपना जीवन बनाया। कितने हीं को क्रिकेट के माध्यम से जीने का रास्ता दिखाया खासकर आर्थिक रूप से कमजोर क्रिकेटरों को। क्रिकेट के माध्यम से पैसा तो नहीं पर नाम जरूर कमाया।




चार भाइयों में सबसे छोटे अधिकारी जी ने अपने छात्र जीवन में ही खेल को साथी बना लिया था। पटना कॉलेजिएट स्कूल दरियापुर के छात्र रहे अधिकारी ने खेल की खातिर कॉलेज ऑफ कॉमर्स (अब कॉलेज ऑफ कॉमर्स, सायंस एंड आटर््स) से स्नातक व लॉ की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के समय से ही अधिकारी एमएम प्रसाद टेबुल टेनिस, फुटबॉल व क्रिकेट खेलते थे। टेबुल टेनिस छोड़ दिया लेकिन फुटबॉल व क्रिकेट को गले लगाए रखा। वे पटना फुटबॉल लीग में अपने क्ुब एमसीसी की ओर से लेफ्ट आउट के पोजिशन से खेलते थे।
वे एक मध्यक्रम के बल्लेबाज के साथ-साथ बाएं हाथ के मध्यमगति के गेंदबाज थे। कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ अपने उत्कृष्ठ प्रदर्शन के दम पर कॉलेज ऑफ कॉमर्स को खेल के क्षेत्र में ऊचाईयों पर पहुंचाया था। इन्हें चार बार कॉलेज ब्लू की उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने मगध विश्वविद्यालय और पटना जिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया।
पटना क्रिकेट लीग में उनके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड कायम है। उन्होंने इनिंग के पहले ओवर में हैट्रिक समेत पांच विकेट चटकाये हैं। ऐसे एक ओवर में पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड प्रदीप सिंह और अमिताभ पालित के नाम भी दर्ज है पर वह पहले ओवर में नहीं है। साथ ही पटना क्रिकेट लीग में कुल 13 हैट्रिक चटकाये हैं।



अधिकारी एमएम प्रसाद के जीवन में सबसे बड़ा बदलाव संत जेवियर्स स्कूल में कोचिंग देने के दौरान आया था। वे स्वयं कहते हैं कि संत जेवियर्स में कोचिंग देने के दौरान ही सैयद सबा करीम, अमिकर दयाल, फैज करीम, संजय चौधरी, अविनाश कुमार, रजनीश कुमार, जितेंद्र कीकानी, संजय सिंह जैसे उत्कृष्ठ खिलाड़ी मिले थे। इन सबों ने क्रिकेट की ऊचाइयों को छुआ। वे स्व. महेश सिंह, आयुष कुमार और जय कुमार सिन्हा जैसे अनेक खिलाड़ियों के गुरु रहे। इन्होंने मछुआटोली मोहल्ले के अनेक लड़कों को योग्य क्रिकेटर बनाया। अपने दम पर उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जो बहुत कम लोगों को नसीब है।
अधिकारी जी का कोचिंग कैंप शाखा मैदान पर वाईसीसी स्पोट्र्स एकेडमी के नाम से चलता था जो आज भी कायम है। इस एकेडमी से ट्रेनिंग लेकर कई अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय क्षितीज पर छाए उनमें बीसीसीसीआई के ऑपरेशन जीएम सबा करीम, अमिकर दयाल, अविनाश कुमार, आशीष सिन्हा, सुजय तिवारी, संजय दत्ता, प्रणव जायसवाल, सतीश सिंह, संजय रंजन, सुनील सिंह, सुनील कुमार, टीएस लांबा, राम कुमार, धीरज कुमार, राजीव कुमार, सरफराज अहमद, प्रमोद कुमार, महेंद्र कुमार, सुजीत कुमार, संजय तिवारी, चंचल दत्ता गुप्ता,अभिमन्यु कुमार, रेशू राज,आकाश राज, मलय राज तिवारी, सचिव कुमार, साहिल राज समेत कई शामिल हैं।
अधिकारी जी आर्थिक रूप से कमजोर टैलेंट खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखते थे। उन्होंने एक बार अपने कैंप में आर्थिक रूप से कमजोर क्रिकेटरों के लिए कैंप का आयोजन किया था जिसमें भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान कपिल देव के कोच देशप्रेम आजाद और उनके सागिर्द आये थे। वाईसीसी स्पोट्र्स एकेडमी में दिग्गज नेता स्व. माधव राव सिंधिया टर्फ विकेट का उद्घाटन करने पधारे थे। आज भी इस एकेडमी से अधिकारी एम एम प्रसाद का उतना ही लगाव है। यदा-कदा वे यहां आया करते हैं। हालांकि इस एकेडमी में अब कोचिंग उनके शिष्य संतोष कुमार (चैपल) देते हैं। अभी भी इस एकेडमी से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी का ऊंचाईयों पर जाना जारी है।

पूर्वी क्षेत्र के वे क्रिकेट कोच और चयनकर्ता रहे। बिहार रणजी टीम को छोड़कर शेष सभी आयु वर्ग के टीम चयनकर्ता रहे। तीन दशक पहले बिहार रणजी ट्रॉफी टीम गठन हेतू हेमन ट्रॉफी की चैंपियन व शेष बिहार टीम के बीच दोदिवसीय मैच होता था। अधिकारी जी शेष बिहार के चयनकर्ता हुआ करते थे। विजेता टीम को ‘कमानी कप’ प्रदान किया जाता था। पाकिस्तान के खिलाफ 1980-90 के दशक में खेली भारतीय अंडर-19 टीम के भी अधिकारी जी कोच बनाये गए थे।
एक उच्चस्तरीय खिलाड़ी ही अच्छा कोच बन सकता है। मिथक को अधिकारी जी ने अपने कोचिंग स्कील से तोड़ा। उन्हें नेपाल क्रिकेट संघ ने अपने यहां होने वाले इंटर जोनल नेशनल चैंपियनशिप में खेलने वाली नारायणी जोन का कोच बनाया था। उन्हें नेपाल क्रिकेट संघ के तत्कालीन उपाध्यक्ष तारिणी विक्रम शाह ने अपने भाई बिहार सरकार के प्रथम संपूर्ण खेल मंत्री स्व. अर्जुन विक्रम शाह के कहने पर बुलाया था। अधिकारी जी की कोचिंग में उस समय तूती बोलती थी। उस वक्त कई एनआईएस कोच भी अदब के साथ खड़े हो जाते थे। आज भी उनका सम्मान कायम है। इनके द्वारा स्थापित क्रिकेट क्लबों एमसीसी, वाईसीसी, पीएसी, केडिया एकादश, अधिकारी एकादश को बड़ी चतुराई से क्रिकेट के मठाधीशों ने हड़प लिया है। पटना जिला क्रिकेट संघ के संस्थापक सदस्यों में एक रहे अधिकारी वहां के राजनीति के शिकार हुए।



वे सिगरेट व चाय के बहुत बड़े शौकिन थे। इनके घर पर चाय की चुस्की के साथ क्रिकेट की महफली जमती थी। वे हिंदुस्तान टाइम्स के खेल संवाददाता भी रहे। वर्ष 2006 में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी ने घेर लिया। बहुत दिन तक छुपाए रखा, लेकिन भला हो लाल रत्नाकर और नलीन दयाल का जिन्होंने इस रोग को सार्वजनिक कराया और इसके लोगों की दुआओं व मदद से इन्होंने बीमारी को मात दे दी। बिहार सरकार के लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड के अलावा इन्हें कई सम्मान मिल चुके हैं। अधिकारी एमएम प्रसाद आज भी उसी तन्मयता से क्रिकेट की टिप्स देते हुए नजर आते हैं।