पटना। इस साल भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा आयोजित होने वाली घरेलू टूर्नामेंट में क्या बिहार हिस्सा नहीं लेगा! राज्य क्रिकेट जगत में कुछ ऐसी ही चर्चा जोरों पर है। बिहार में क्रिकेट के वर्तमान हालात और पदाधिकारियों के रवैए को देखते हुए भी कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।
जी हां,चर्चा होना भी लाजिमी है। क्योंकि बिहार में क्रिकेट के संचालन की बागडोर संभाले वाले महानुभावों के हाथ पर हाथ धरकर बैठने और शायद एक-दूसरे के आगे बढ़ने का इंतजार हैं।
क्रिकेट के जानकार का कहना हैं कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा जारी घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंटों को लेकर हर राज्य में तैयारी शुरू हो गई है। कुछ राज्यों में घरेलू टूर्नामेंट आयोजित किये जा रहे हैं तो कुछ राज्य में ट्रेनिंग कैंप भी शुरू हो चुके हैं।वहीं बीसीसीआई द्वारा जारी कैलेंडर के अनुसार सितंबर माह से टूर्नामेंट का आयोजन भी होना है।अब इसके शुरू होने में मात्र एक महीने का समय बचा है लेकिन बिहार में इसके लिए कोई तैयारी नहीं।यानी सब ओर सन्नाटा और अंधेरा ही अंधेरा है।
यह कहना इसलिए भी लाजिमी हो जाता है क्योंकि लोगों का कहना है कि टूर्नामेंट कराने की बात तो छोड़ दीजिए, ना सेलेक्शन ट्रायल और ना ही कैंप कराने को लेकर अब तक कोई सूचना जारी की गई है। उन सबों कहना है कि सेलेक्शन ट्रायल और कैंप की भी बात तो छोड़िए,अब तक सेलेक्शन करने वाले सेलेक्टर की घोषणा भी नहीं की गई है।सवाल उठता है कि क्या पुराने सेलेक्टर ही इस साल रहेंगे या बदले जायेंगे, टीम किसी तरह चुनकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी, क्या मैच होगा या फिर सेलेक्शन ट्रायल! या फिर सबकुछ पहले से तय है और टीम चुनने की केवल औपचारिकता निभाई जायेगी।
यदि ऐसा नहीं ,तो फिर लोगों का सवाल है कि टीम का सेलेक्शन ट्रायल होगा तो कहां होगा! बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने तो अबतक ज्यादातर खेल गतिविधियां मोइनुल हक स्टेडियम में ही कराती आ रही है। वर्तमान समय में मोइनुल हक स्टेडियम के हालात भी ठीक नहीं है। उस ग्राउंड को खेलने के लायक बनाने के लिए भी लगभग एक से दो महीने लग जायेंगे ऐसे में क्रिकेट कहां होगा पता नहीं चल पा रहा है।
क्रिकेट के जानकारों का कहना है कि वर्तमान में बीसीसीआई ने घरेलू टूर्नामेंट का जो फार्मेट जारी किया उससे यही लगता है कि बिहार को भी मैचों की मेजबानी मिल सकती है। जूनियर लेवल के मैचों की मेजबानी अगर मिली, तो चलिए ऊर्जा स्टेडियम में करा लेंगे। पर कहीं, अगर रणजी ट्रॉफी की मेजबानी मिली तो कहां करायेंगे! क्या मेजबानी से बिहार क्रिकेट एसोसिएशन पलड़ा झाड़ लेगा! ऐसा होगा तो बदनामी राज्य की होगी ,ना कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के रहनुमाओं की।
बात तो यहां तक लोग करने लगे हैं कि हर वर्ष की तरह चट मंगनी पट ब्याह की तर्ज पर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन कार्य करेगा और अपनों को बिहार कैप पहनवाएगा और साथ और क्या होगा यह कहने की जरुरत नहीं है।
बिहार क्रिकेट के जानकार यह भी कह रहे है कि यहां भोज के दिन कोहड़ा रोपने की पुरानी आदत और परंपरा है।शायद बिहार क्रिकेट के रहनुमां अंतिम समय में कुछ फैसला लें । मगर अभी फिलहाल चहूं ओर सन्नाटा है और हम सभी ईश्वर से कामना करते हैं कि यह सन्नाटा जल्द खत्म हो जिससे बिहार क्रिकेट के वातावरण में क्रिकेटरों के बल्ले और गेंद की गूंज सुनाई पड़े।
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