रांची। नहर और तालाबों में तैराकी का ककहरा सीखकर राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में 16 स्वर्ण सहित 30 से अधिक पदक जीत चुके अमन जायसवाल पान बेचने को मजबूर हैं। सिकिदिरी (रांची) के इस युवा तैराक का सपना था कि देश-विदेश में वह अपना और अपने झारखंड का नाम रोशन करे। इसके लिए नहरों और तालाबों में कई वर्षों से मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब परिस्थिति ऐसी बन आई है कि परिवार चलाने के लिए उसे अपने पिता की पान की गुमटी चलानी पड़ रही है।
23 वर्षीय अमन को 2011 में एक टैलेंट हंट प्रतियोगिता में खोजा गया था। इसके बाद महज एक महीने की ट्रेनिंग कैंप में शामिल होकर अमन ने राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीते। इस जबरदस्त शुरुआत के बावजूद अमन का करियर आगे नहीं बढ़ा। परिवार की माली हालत होने के कारण उसे एक उभरते तैराक की जरूरत के मुताबिक डाइट नहीं मिल सकी। सात बार झारखंड टीम की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी निभा चुके अमन बताते हैं कि 2011 से ही छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। पूर्व में खेलमंत्री से भी मिला था, लेकिन मदद की जगह सिर्फ आश्वासन मिला।
अमन ने बताया कि 2017 में खेलगांव स्थित तैराकी स्टेडियम में लाइफ गार्ड की नौकरी मिली थी। झारखंड स्टेट स्पोट्र्स प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएसपीएस) द्वारा पे एंड प्ले योजना के तहत आम लोगों को तैराकी सिखाई जाती थी। 2019 में झारखंड खेल प्राधिकरण ने पे एंड प्ले योजना का जिम्मा संभाल लिया और नए लाइफ गार्ड नियुक्त कर लिये। जिसके कारण अमन का काम छूट गया। मजबूरी में अब पिता की गुमटी में बैठना पड़ता है।
अमन ने कहा कि वह रोजाना करीब 2000 मीटर तैराकी करते हैं। खेलगांव में जब लाइफ गार्ड थे, तब रात में वह प्रैक्टिस किया करते थे। अमन अभी भी रोजाना सिकिदिरी नहर में अभ्यास करते हैं, इस विश्वास के साथ कि शायद कभी कोई मदद मिल जाए और उसके सपनों को पंख लग जाए।
राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में 16 स्वर्ण सहित 30 से अधिक पदक जीत चुके हैं। देश-विदेश में खुद के साथ झारखंड का नाम रोशन करने का सपना था अमन का सात बार झारखंड टीम की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी निभा चुके हैं
साभार : दैनिक हिन्दुस्तान (रांची)