लंदन, 30 जुलाई। भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही पांच मैचों की टेस्ट सीरीज़ का समापन 31 जुलाई से होने वाले पांचवें और अंतिम मुकाबले के साथ होगा, लेकिन इससे पहले ही खिलाड़ियों की थकान और चोटों ने चिंता बढ़ा दी है। इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स कंधे की चोट के कारण निर्णायक मुकाबले से बाहर हो चुके हैं, और इसी बीच उन्होंने टेस्ट मैचों के बीच ब्रेक की कमी को लेकर सवाल उठाए हैं।
स्टोक्स ने कहा कि इतनी लंबी और गहन सीरीज में खिलाड़ियों को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता, जिससे चोट की आशंका और प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
आप अगर सीरीज के शेड्यूल पर गौर करें, तो कहीं आठ दिन का गैप है, कहीं नौ दिन का, लेकिन फिर दो मैचों के बीच सिर्फ तीन दिन का अंतर भी रहा। क्या हर मैच के बीच चार या पांच दिन का बराबर ब्रेक नहीं हो सकता? उन्होंने यह भी जोड़ा कि शारीरिक के साथ-साथ मानसिक थकावट भी खिलाड़ियों को प्रभावित करती है। खिलाड़ी लगातार मैदान पर हैं। इतनी गेंदबाजी, इतने ओवर, लगातार दबाव इससे खिलाड़ी टूट सकते हैं।”
भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने भी माना कि तीन दिन का टर्नअराउंड वाकई चुनौतीपूर्ण है, खासकर तब जब सभी टेस्ट मैच अंतिम सेशन तक खिंच रहे हैं।
मैंने शायद ही कभी कोई सीरीज देखी है जिसमें सारे मैच पांचवें दिन तक चले हों और वो भी आखिरी सेशन तक। यह इस बात का संकेत है कि खेल कितना कठिन रहा है। “हम बोर्ड्स के निर्णय पर भरोसा करते हैं, लेकिन हां लगातार तीन दिन के भीतर अगला मैच खेलना वाकई कठिन होता है।
इंग्लैंड ने पांचवें टेस्ट से पहले कई खिलाड़ियों को आराम दिया है, जिनमें जोफ्रा आर्चर, लियम डॉसन और ब्रायडन कार्स शामिल हैं। इससे साफ है कि टीम मैनेजमेंट भी खिलाड़ियों की थकान को गंभीरता से ले रहा है। यह बहस एक बार फिर इस ओर इशारा करती है कि आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में शेड्यूलिंग और खिलाड़ी सुरक्षा को संतुलित करना जरूरी है।