पटना। मुश्ताक अली टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट में खेल रही बिहार टीम में तीन बड़े बदलाव किये हैं पर इस बदलाव का आधार क्या है पता नहीं। तीन मैचों में किया गया परफॉरमेंस आधार है तो कई खिलाड़ियों को बाहर कर देना चाहिए था, उसमें कप्तान भी शामिल हो सकते हैं। ऐसे ही कई सवाल बिहार क्रिकेट जगत में उठ रहे हैं।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने जो तीन बदलाव किये हैं उसमें शशीम राठौर, विवेक कुमार और विपुल कृष्णा को बुला लिया गया है। उनकी जगह विजय भारती, हर्ष विक्रम सिंह और अभिजीत साकेत को टीम के साथ जुड़ने के लिए कहा गया है।
अगर शशीम राठौर को इस टूर्नामेंट के तीन मैचों के परफॉरमेंस के आधार पर वापस बुलाया गया है तो बाबुल कुमार को भी वापस बुलाना चाहिए था। उनका भी परफॉरमेंस वैसा नहीं रहा जैसी उनसे उम्मीद की जाती है। अगर विजय हजारे टूर्नामेंट के परफॉरमेंस को काउंट करना है तो शशीम राठौर को भी वापस नहीं बुलाना चाहिए था। उन्होंने उस टूर्नामेंट में कुल 200 से ऊपर रन बनाये हैं।
क्रिकेट जगत यह सवाल उठा रहा है कि विजय भारती को टीम में शामिल किया गया तो बासुकीनाथ क्यों नहीं। बासुकीनाथ का तो घरेलू टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन रहा है। उन्होंने अभ्यास मैच में अच्छा खेला था। उन्हें किस बात के लिए हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। अगर बदलाव करना था तो विजय हजारे ट्रॉफी जैसा क्यों नहीं कर दिये, पर नहीं कर सकते इसमें अपने का पता जो साफ हो जाता।
क्रिकेट जगत का कहना है कि प्रबंधन कोटा सिस्टम की बात करना छोड़ दें तभी टीम ठीक हो पायेगी। एक हमारे कोटे से, एक आपके कोटे से और एक मैनेजमेंट कोटा से प्लेयर का चयन जब होगा तो टीम का परफॉरमेंस नहीं सुधर सकता है। अगर प्लेयर अच्छा है। पहले का परफॉरमेंस बेहतर रहा है तो कुछ मैचों में मौका देना चाहिए। टीम के चयन फिर बदलाव में एकरूपता नही दिख रहा। प्रदर्शन आधार नही बनाया जा रहा है,इसीलिए आरोपों की गुंजाइश बनती रहती है।