कुंदन श्रीवास्तव, प्रमुख संवाददाता

बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है टीम भारत को। पिछले दो महत्वपूर्ण टेस्ट सीरीज़ गंवाकर पहले तो उसे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने से महरूम होना पड़ा और फिर बीसीसीआई के दफ़्तर की शोभा बढ़ा रहे विनिंग ट्रॉफी केस में रखें बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को भी गंवाना पड़ा। …और यह सब भारत के दोयम दर्जे़ की बैटिंग की वजह से हुआ। हालांकि भारतीय गेंदबाजों ने अक़्सर अपने शानदार प्रदर्शन से हाथ से फिसले कई मैचों को भी जीत की स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया बावजूद इसके हमारी टॉप ऑर्डर की बैटिंग फेल्योर ने बेड़ा ग़र्क कर दिया। पहले होम सीरीज़ में ह्यूमिलिएटिंग डिफीट का दंश झेलना पड़ा और फिर अवे सीरीज़ में हाथ से बोर्डर -गावस्कर ट्रॉफी ही अवे हो गया।
आपको अब भी याद होगा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई पांच टेस्ट सीरीज़ से पहले, न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट श्रृंखला के पहले टेस्ट में भारतीय टीम कैसे 46 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। सिर्फ़ यही नहीं उसके बाद जो कुछ भी हुआ वो तो भारतीय क्रिकेट फैंस के दिलों पर नश्तर चुभोने वाली बात थी क्योंकि पहली बार भारत को घरेलू टेस्ट सीरीज़ में टूरिंग न्यूज़ीलैंड के हाथों व्हाइटवॉश का सामना करना पड़ा। जो क्रिकेट हिस्ट्री के सफ़हे में दर्ज़ हो गया। ऐसा तो होना ही था,जब टीम का टॉप ऑर्डर ही आउट ऑफ फॉर्म हो तो फ़िर मामला
मिडिल ऑर्डर के बैटर्स पर आ जाता है परन्तु यहां भी हमारा मध्य क्रम का बल्लेबाज़ एक-एक रन के लिए जूझता ही दिखाई दिया। बोर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में कुछ इंडिविजुअल परफॉर्मेंस बेशक़़ अविस्मरणीय रहे पर उससे मैच जीतने के ख़्वाब नहीं देखे जाते।

टीम भारत के कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली की की लगातार असफलता से टीम भारत पर काफ़ी दबाव पड़ा जिससे मिडिल ऑर्डर के बैटर्स झेल नहीं सके और शिक़स्त की झाड़ियां लगती चली गईं। टीम भारत का ऑस्ट्रेलियाई दौरा उसका बहुत बड़ा उदाहरण भी है। इस टूर पर कमज़ोर भारतीय बल्लेबाजी की कलई खुल कर रह गई। विराट कोहली का लगातार ऑफ स्टंप के बाहर जाती गेंदों पर छेड़खानी कर स्लिप फिल्डर को कैच थमवा देना, जैसे हमारी टीम की बैटिंग के कई ऐसे मसले थे जिसे हेड कोच गौतम गंभीर और बैटिंग कोच अभिषेक नायर न सुलझा सके।
गौतम गंभीर के हेड कोच बनने से पहले टीम भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और बैटिंग कोच विक्रम राठौड़ और भरत अरुण तथा आर श्रीधर जैसे लोग सहायक कोच की भूमिका निभा रहे थे। फ़िलहाल भारतीय कोच से अलग होने के बाद इन दोनों की जोड़ी को आईपीएल फ्रेंचाइजी राजस्थान रॉयल्स ने अपना बैटिंग कोच मुक़र्रर कर रखा है। ये भारतीय क्रिकेट इतिहास के सफल कोचों की टीम थी। परंतु इस वक़्त गौतम गंभीर ने अपनी टीम के जिन कोचों को टीम भारत के साथ जोड़ा है वो अपने खिलाड़ियों से बेहतर परिणाम निकलवा पाने में पूरी तरह से असफल रहे हैं। गंभीर ने अपने साथ आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स में अपनी सेवाएं दे रहे अभिषेक नायर को बैटिंग सहायक कोच ,जबकि उन्हीं के साथ लखनऊ टीम में बॉलिंग टिप्स देने वाले दक्षिण अफ्रीकी पूर्व तेज़ गेंदबाज़ मोर्ने मोर्कल को गेंदबाज़ी कोच और रियान टेन डोशेटे को टीम भारत का फील्डिंग कोच बना रखा है।
बोर्डर -गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय टीम की पराजय मुख्य तौर पर उनकी बैटिंग फेल्योर की वजह से हुई है यह बात जगज़ाहिर भी है। टीम भारत के बल्लेबाज़ों के लचर प्रदर्शन पर लगातार उठ रहे सवालों पर बीसीसीआई ने तवज्ज़ो देते हुए भारतीय क्रिकेट टीम के लिए नए बैटिंग कोच की घोषणा कर दी है। पूर्व खिलाड़ी सीतांशु कोटक को बीसीसीआई ने भारत का नया बल्लेबाजी कोच नियुक्त किया है। इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरीज , टी20 सीरीज और चैंपियंस ट्रॉफी के लिए सीतांशु कोटक को बल्लेबाजी कोच नियुक्त किया गया है। ये वही सीतांशु कोटक हैं जो लंबे समय से एनसीए यानी राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में बल्लेबाजी कोच की भूमिका निभा रहे हैं।

52 साल के सीतांशु कोटक भारतीय ए टीम के साथ भी बतौर बल्लेबाजी कोच अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अब उन्हें बीसीसीआई ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में भारतीय बल्लेबाजों के खराब प्रदर्शन के बाद अभिषेक नायर की जगह एक विशेषज्ञ बैटिंग कोच मुक़र्रर किया है जो भारत के लिए कभी नहीं खेले, मग़र डोमेस्टिक क्रिकेट में उन्होंने ख़ूब क़माल किया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 130 मैचों में 15 शतक सहित 8000 से अधिक रन बनाने वाले सीतांशु कोटक को टीम भारत का बैटिंग कोच बनाने का बीसीसीआई का फ़रमान भी आ चुका है। अब देखना है कि पिछले दो सीरीज़ के ज़रिए टीम भारत ने जो दर्द झेले हैं उससे कोटक साहब कैसे निजात दिलाते हैं।