Sunday, June 22, 2025
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ईमानदार, कर्मप्रिय व कड़क Boss, नहीं Bose

by Khel Dhaba
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पटना। कभी विकेट के पीछे से गिल्लियां उड़ाईं। साथ ही चौके-छक्के भी खूब लगाए। रैकेट थामा और अपने टॉप स्पिन सर्विस व बैक हैंड शॉट से भी खूब धमाल मचाया। अपनी ईमानदारी, स्पष्टवादिता और कर्तव्यपरायनता के कारण अपने शागिर्दओं से लेकर हाकिमों तक या फिर राजनीतिज्ञों के बीच इनकी अलग छवि थी, जो आज भी है। वैसे तो अपने 34 वर्षों की सरकारी सेवा में अनेकों पदों पर रहे पर लंबे समय तक बिहार का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की कमान जब संभाली तो छा गए। हम बात कर रहे हैं उस बॉस की जिन्हें हम अजय कुमार बोस या नीलू दा के नाम से जानते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में-

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद पटना में व्यापार करने के इरादे से बसे स्व. निर्मल कुमार बोस की चाहत थी कि उनके सभी पुत्र व पुत्रियों पढ़-लिख कर साहब बने। पर इससे इतर अजय बोस की रूचि पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी थी। बेटे की चाहत में पिता ने कभी खलल नहीं डाला। इसमें इनकी बहन डॉक्टर स्व. चंदना बोस (स्त्री रोग विशेषज्ञ) का भी भरपूर सहयोग मिला।

अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट और टेबुल टेनिस खेल में खूब धमाल मचाया। आगे की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय के वाणिज्य महाविद्यालय में शुरू की जहां खेलों से भी नाता जुड़ा रहा। खेलों में उनके सपनोंं को उड़ान दिया स्व. डॉ प्रेम कुमार ने। इस दौरान स्व. डॉ अजय भगत, स्व. अपरेश घोष और बनारसी प्रसाद का पूरा साथ मिला।

एक विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में इन्होंने पटना कॉलेज, स्पोर्टिंग यूनियन, एमसीसी और क्रिसेंट क्लब की ओर से पटना जिला सीनियर डिवीजन क्रिकेट लीग में खेला। वर्ष 1974 में पटना जिला क्रिकेट लीग के फाइनल में इनके अहम योगदान से पटना कॉलेज ने वाईएमसीसी पर जीत हासिल की। वे ईस्ट जोन विश्वविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगिता में पटना विश्वविद्यालय टीम का प्रतिनिधित्व भी किया। तो वहीं दूसरी तरफ टेबुल टेनिस में भी जिला से लेकर राष्ट्रीय प्रतियोगिता तक व इंटर यूनिवर्सिटी में अपनी प्रतिभा व खेल की अलग छाप छोड़ी। इसके लिए इन्हें वर्ष 1974 में ‘छात्र भूषण’अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

इनके बेहतर खेल परफॉरमेंस की वजह से छात्र जीवन में ही इन्हें बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी मिल गई। 1975 में स्नातक पास करने के बाद इनकी इच्छा खेल प्रशिक्षण के क्षेत्र में जाने को हुई तब इसमें उन्हें साथ मिला बिहार स्पोट्र्स काउंसिल का और सरकारी खर्च पर वर्ष 1976 में बिहार विद्युत बोर्ड की नौकरी छोड़ खेल प्रशिक्षण कोर्स करने देश की नामी एकमात्र संस्था एनआईएस पटियाला चले गए। सफलतापूर्वक कोर्स पूरा करने व डिग्री मिलते ही बिहार सरकार के खेल विभाग में टेबुल टेनिस कोच के रूप नियुक्त भी हो गए।

अनुशासनप्रिय व कर्मप्रिय अजय बोस अपने लंबे सेवा काल में जिला खेल पदाधिकारी, पटना, सीवान, सहायक निदेशक (क्रीड़ा), प्रबंधक मोइनुल हक स्टेडियम व प्रेमचंद रंगशाला, वरीय क्रीड़ा कार्यपालक , बिहार राज्य खेल प्राधिकरण, उप निदेशक (खेल व शारीरिक शिक्षा), दक्षिणी छोटानागपुर रांची, उपनिदेशक (युवा कार्य, मुख्यालय) पद पर कार्य किया मगर मोइनुल हक स्टेडियम के मैनेजर के रूप में जो ख्याति मिली वह इनके सेवा काल का स्वर्णिम अध्याय रहा। वर्तमान में राज्य के विकसित खेल संरचनाओं व संसाधनों के विकास सहित खेल व खिलाड़ियों को मिल रही बेहतरीन सुविधाओं के नीति निर्धारण और उसके क्रियान्वयन में भी इनका अहम योगदान रहा है। इनके ईमानदारी, काम के प्रति जज्वा व लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जाता सकता है कि वर्ष 2011 में इनके रिटायरमेंट के दिन विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव सी लाल सोता ने अपने विभागीय प्रमुख (प्रधान सचिव की कुर्सी) के पद पर बैठाकर इन्हें विशेष सम्मान दिया। उसी दिन मोइनुल हक स्टेडियम में राज्य के खेल हस्तियों ने अलग से एक समारोह आयोजित सम्मानित किया।

सेवानिवृति के दिन तत्कालीन विभागीय प्रधान सचिव सी लाल सोता के साथ अजय बोस।
एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व खेल मंत्री अशोक कुमार सिंह और खेल सचिव रमाशंकर तिवारी के साथ अजय बोस।

मोइनुल हक स्टेडियम के मैदान से लेकर बेहतर रखरखाव के लिए इन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव, दिलीप वेंगसरकर, रवि शास्त्री सहित कई बड़े दिग्गजों ने इनकी सराहना की और प्रशस्ति पत्र भी दिया है।

क्रिकेट हस्तियों द्वारा दिये गए प्रशंसा पत्र

स्वभाव से सख्त मगर दिल से भावुक अजय बोस का मानना है कि वे अपनी नौकरी के दौरान पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दिकी, आईएएस रामाशंकर तिवारी, अंजनी कुमार सिंह और विवेक कुमार सिंह से काफी कुछ सीखा और उसे अपने कार्यशैली में ढाला।


पटना में आयोजित एशियन स्कूल फुटबॉल चैंपियनशिप में वे श्रीलंका टीम के लोकल मैनेजर रहे तो वहीं इस बड़े आयोजन के आयोजन समिति के संयुक्त सचिव की भी कमान सफलतापूर्वक निभाई। इनके इस बेहतरीन कार्य के लिए तत्कालीन खेल निदेशक अंजनी कुमार सिंह द्वारा भी प्रशस्ति पत्र दिया गया। इससे पूर्व भी 1987 में भारत में आयोजित विश्व टेबुल टेनिस प्रतियोगिता की आयोजन समिति में भी रहे। इसके अतिरिक्त कई बड़े स्पोट्र्स इवेंट के आयोजन में इनकी सहभागिता रही। देश के चुनिंदा स्पोट्र्स एडमिनिस्ट्रेटरों के लिए वर्ष 2001 व 2002 में भारत और ऑस्ट्रेलियाई सरकार के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली में आयोजित वर्कशॉप में इन्होंने भाग लिया तथा सिडनी ओलंपिक की पूरी तैयारी व सफल आयोजन की वारिकियों को जाना।

विभिन्न आयोजनों में मिले प्रशस्ति पत्र

पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के साथ अजय बोस। अजय बोस पटना कॉलेज में लालू प्रसाद के सहपाठी रहे हैं।

हमेशा जरुरतमंदों को मदद करने वाले व सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले श्री बोस बिहार में बंगाली एसोसिएशन के आजीवन सदस्य तथा इस संस्था द्वारा प्रकाशित पत्रिका के संरक्षक भी हैं। इनकी शादी पूर्व टेबुल टेनिस चैंपियन व राज्य के प्रतिष्ठित स्कूल की अध्यापिका डॉ सुनीता से हुई है। आज भी सेवानिवृत के बाद विभिन्न गतिविधियों व आयोजनों में इनकी उपस्थिति प्राय: दिखती है।

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