31 C
Patna
Thursday, March 28, 2024

BIHAR ATHLETICS : जब खिलाड़ी ही सब इंतजाम करेंगे तो आपकी क्या जरूरत है हुजूर!

पटना। प्रतियोगिता में खेलना है तो अपना भोजन, कंबल, आने जाने की व्यवस्था अपना खुद करें। हम कुछ नहीं करेंगे। जी हां,यह फरमान जारी हुआ है बिहार एथलेटिक्स संघ के तत्वावधान में मुजफ्फरपुर जिला एथलेटिक्स संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के लिए। आयोजक जिला संघ द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि खिलाड़ियों के रहने की व्यवस्था एल एस कालेज के परीक्षा भवन में की गई है जहां सिर्फ दरी और जाजिम की व्यवस्था संघ के द्वारा रहेगी।

वैसे भी राज्य के एथलीट अपने ट्रेनिंग,कीट,डाएट आदि की व्यवस्था खुद करते आ रहे हैं, अब राज्य प्रतियोगिता में भाग लेने के अब अपनी व्यवस्था खुद करेगें।

मुजफ्फरपुर में दिनांक 15 से 17 नवंबर तक एल एस कालेज, मुजफ्फरपुर में 87 वीं राज्य स्तरीय जूनियर एवं सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2021 आयोजित की जा रही है। इसी प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार पर आगामी राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए राज्य टीम का चयन किया जाएगा। एथलीटों के साथ मजबूरी यह है कि यदि इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लेंगे तो उनके पुरे वर्ष की मेहनत बेकार हो जाएगी। यदि इस प्रतियोगिता में भाग लेना है तो संघ के आदेशानुसार सभी व्यवस्थाएं खुद करनी होगी।

संघ के हुक्मरान के इस कृत्य से स्पष्ट होता है कि हम कुछ नहीं करेगें,केवल पर पद पर बने रहेंगें। खिलाड़ी खाने की व्यवस्था खुद करेंगे। ठंड से बचने के लिए कंबल भी खुद ही लायें। बाकी व्यवस्था जिला संघ के मथ्थे। हम केवल कहलायेंगे बिहार एथलेटिक्स संघ के हुक्कमरान।

इन्हीं खिलाड़ियों में से जब कोई मेडल लेकर आएगा तो शाबाशी देते हुए मीडिया में खबर देंगे कि यह है बिहार एथलेटिक्स संघ की मेहनत का फल है।

मेजबान जिला संघ की बात तो छोड़ दीजिए उसने तो आयोजन की जिम्मेवारी ले ली। सवाल उठता है कि जो राज्य एथलेटिक्स के मुखिया हैं वे अपना फर्ज निभाने में विफल क्यों!साथ ही बाकी जिला संघ अपने खिलाड़ियों का खर्च उठाने के लिए तैयार क्यों नहीं!

वैसे राज्य सरकार का कला संस्कृति एवं युवा (खेल) विभाग ऐसे आयोजनों के लिए अनुदान भी देता है। मगर शर्त यह है कि संबंधित खेल संघ को राज्य खेल विधेयक 2013 के नियमों के तहत खेल विभाग से निबंधन कराना होगा। विधेयक के नियमों के अनुसार निबंधित संघ को अपनी सारी गतिविधियों, आयोजनों, खर्च आदि का ब्यौरा विभाग को देना होगा।

मगर संघ के अनेक हुक्मरान पद पर काबिज रहने एवं मनमानी करने के लिए,ऐसा नहीं करना चाहते। जिससे ना ही विभाग से उनका निबंधन होता है और ना ही उन्हें अनुदान एवं अन्य सुविधाएं। जिसका खामियाजा खिलाड़ी भुगतते हैं और दूसरी तरफ सरकार से अनुदान और सहयोग ना मिलने का राग अलाप कर संघ के हुक्मरान अपने पद पर काबिज रहते हैं और अपना सिक्का चलाते रहते हैं।

बताते चलें कि राज्य के खिलाड़ियों के हितों की रक्षा, उन्हें संरक्षण देने तथा खेल संघों में पार्दर्शिता आदि के लिए ही सरकार ने 2013 में खेल विधेयक विधान मंडल से पारित कराते हुए कानून बनाया। साथ ही सभी खेल संघों को इस कानून के तहत निबंधन कराना भी अनिवार्य किया।मगर आज इस कानून के लागू होने के लगभग 8 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी राज्य के अनेक खेल संघों ने निबंधन नहीं कराया। जिनमें मान्यता प्राप्त एवं प्रतिष्ठित खेल संघों की संख्या भी अधिक है।

सवाल यह भी उठता है खेल विभाग के हुक्मरान ऐसे गैर निबंधित खेल संघों के खिलाफ विधेयक के नियमों के अनुसार कार्रवाई क्यूं नहीं करतें! क्यूं अब तक हाथ पर हाथ रख कर बैठे हुए हैं। मतलब साफ है कि इस खेल के खेल में सभी का गठजोड़ है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Articles

Verified by MonsterInsights