पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा हाल ही में आयोजित बीसीए सीनियर अंतर जिला क्रिकेट टूर्नामेंट के सफल संचालन में अहम भूमिका निभाने वाले अंपायरों की होली फीकी रही। फीकी होली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी पिचकारी से रंग बरसने की बजाए अंपायरों के व्हाटशअप ग्रुप में मैसेजों की बारिश हो रही है।


अंपायर एसोसिएशन बीसीए के व्हाटशग्रुप में इस क्रिकेट टूर्नामेंट में अंपायरिंग की भूमिका अदा करने वाले से लेकर इस ग्रुप से जुड़े तमाम अंपायर अपने दर्द का बयान मैसेज के जरिए कर रहे हैं। कोई लिख रहा है कि हमें मात्र कुछ रुपए मिले हैं। मिले इस रुपए को टीए-डीए में काउंट करूं या मैच फीस में पता नहीं चल पा रहा है।

कुछ का कहना है कि मैच फीस की बात तो छोड़िए टीए-डीए का भी भुगतान नहीं किया है। मैसेज में यहां तक कहा जा रहा है कि बीसीए अपना अकाउंट नंबर भेजे। जो कुछ पैसे मिले हैं उसको भी रिटर्न कर दूंगा। मैसेज में ललकार के जरिए यलगार करने की बात कही जा रही है। कहा जा रहा है कि दाल-भात खा कर अंपायरिंग करना बंद कर दो भाई।

अंपायरों का दर्द है कि जो पास में पैसा था उसे मैच के दौरान खत्म कर दिया। अब घर में होली कैसे मनायेंगे। बीसीए के हुक्कमरान तो चैन की नींद सो रहे होंगे। अंपायरों का कहना है कि पहले से ही कई अंपायरों का बीसीए पर 20,000-25,000 हजार रुपए का बकाया है। पहले वाले के भुगतान की बात तो छोड़िए। कम से कम नये वाले पैसे का भुगतान को कर देते तो होली कुछ अच्छे तरीके से मन जाती। कुछ लोग अंपायरों को ढाढ़स बंधा रहें कि हिम्मत रखें। पैसा एक-दो दिन में मिल जायेगा।
