पटना। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के इलेक्ट्रोल ऑफिसर डॉ एम.मुदास्सिर (आईएएस-रिटायर्ड) के द्वारा रविवार को रात्रि में बीसीए चुनाव-2022 के लिए फाइनल वोटरलिस्ट प्रकाशित किया गया था जिसमें इलेक्ट्रोल ऑफिसर द्वारा 32 जिलों के प्रतिनिधि घोषित किए गए थे। इसके साथ ही दो जिलों क्रमश: मधुबनी और अरवल के संबंध में प्रकाशित वोटरलिस्ट में बीसीए के माननीय लोकपाल के आकस्मिक आदेश आने के बाद इलेक्ट्रोल ऑफिसर द्वारा निर्णय के संबंध स्पष्ट किया गया था।
सोमवार को रात में एकाएक बीसीए के वेबसाइट पर मधुबनी और अरवल जिलों के संबंध में बीसीए के इलेक्ट्रोल ऑफिसर के आदेश को देखकर बिहार क्रिकेट जगत के लोग अचंभित हो गए और बीसीए के इलेक्ट्रोल ऑफिसर द्वारा लिये गए फैसले पर तरह-तरह की चर्चाएं अभी तक बनी हुई हैं। इलेक्ट्रोल ऑफिसर ने कई कारणों को बताते हुए मधुबनी और अरवल को वोटरलिस्ट में जोड़ने के आदेश से इंकार कर दिया है।
कानून विशेषज्ञ से लेकर क्रिकेट के जानकार तक एक ही बात कह रहे हैं कि बीसीए में आखिर माननीय लोकपाल का न्यायादेश बड़ा है या इलेक्ट्रोल ऑफिसर द्वारा लिया गया निर्णय बड़ा है।
अभी तक दोनों जिलों को लेकर कहीं खुशी, कहीं गम देखने को मिल रहे हैं लेकिन लोग एक ही बात कह रहे हैं कि कुछ भी हो जाए कानूनी आदेश से बड़ा ऑफिसियल आदेश नहीं हो सकता है। अब सीधे इस मुद्दे पर बीसीए के माननीय लोकपाल और बीसीए के इलेक्ट्रोल ऑफिसर आमने-सामने दिख रहे हैं। कुछ तो लोग यहां तक कह रहे हैं कि बीसीए में पूर्व में ही आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया था और चुनाव के समय भी लोकतंत्र का खुलेआम गला घोंटा जा रहा है। जो भी हो भद्रजनों का यह खेल क्रिकेट इन्हीं सभी कारणों से बिहार में बढ़ता नहीं दिख रहा है। बिहार के खिलाड़ी रात-दिन पसीना बहा कर भारतीय टीम में अपनी जगह बनाने में कोई कसर बाकी नहीं रखते हैं लेकिन बीसीए के अधिकारी कुर्सी प्राप्त करने के लिए खेल पर खेल खेलते जा रहे हैं।
वहीं इस संबंध में देर रात खेलढाबा द्वारा कई कानून विशेषज्ञों से संपर्क साधा गया लेकिन रात्रि होने के कारण संपर्क नहीं हो पाया जिससे न्याय के जानकारों के पक्ष इस संबंध में अभी आने बाकी हैं लेकिन सब लोग एक ही बात कह रहे हैं कि लोकतंत्र का गलाघोंट कर बीसीए के अंदर पदाधिकारी किसी तरह चुनाव जीत कर कुर्सी हथियाना चाहते हैं।