पटना, 18 जनवरी। पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में बिहार को दोबारा मान्यता दिलाने वाले आदित्य वर्मा ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन कर बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के वर्तमान स्वरूप तथा उसके अध्यक्ष राकेश कुमार तिवारी के ऊपर अनेक प्रकार के आरोप लगाए हैं। सबसे पहले उन्होंने लखन राजा के छह साल के निष्कासन पर सवालिया निशान उठाते हुए इसको तुगलकी फरमान देते हुए नेचुरल जस्टिस का जर्बदस्त वायोलेशन करार दिया। उन्होंने कहा कि चूकिं वे अकेले राकेश तिवारी के क्रियाकलाप पर सवाल उठाते रहे हैं इसलिए आनन फानन में राकेश कुमार तिवारी ने लखन राजा को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
आज तक बीसीसीआई ने मैच फिक्सिंग के आरोपी को भी बिना सबूत के एक्सपेल्ड नहीं किया था लेकिन बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने दुश्मनी निकालने के लिए मेरे बेटे को 6 साल के लिए एक्सपेल्ड कर दिया ना कोई शौ काउज ना कोई नोटिस सीधे अपने वेबसाइट पर 6 साल के लिए एक्सपेल्ड करके लगा दिया। क्योंकि हमने हमेशा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के गलत कार्यों का विरोध किया बाहरी खिलाड़ियों को बुलाकर गलत कागजात बनाकर सीधे बिहार टीम में खेलाया जाता है।
पटना में कोतवाली थाना में एफ0 आई0 आर0 49/23 भी चल रहा है। बीसीसीआई ने बिहार क्रिकेट के विकास के लिए 25 करोड रुपया का अनुदान अभी तक दिया है। उसका कोई भी हिसाब नहीं है जब भी पुरुष महिला खिलाड़ियों का कोचिंग कैंप लगता है तो न उनके ठहरने का न खाने पीने का दैनिक भत्ता खिलाड़ियों को दिया जाता है।
ऑफिस में काम करने वाले जो भी कर्मचारी है वह बीसीसीआई के पैसे से सैलरी के रूप में सालाना करोड़ों रूपये ले रहे हैं क्योंकि अगर बीसीसीआई पैसा देता है तो खिलाड़ियों के विकास के लिए देता है क्रिकेट के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए देता है लेकिन वह पैसा मनी लांड्रिंग के तरह गबन कर लिया जा रहा है। इसकी जांच बिहार सरकार के आर्थिक अपराध ईकाई के द्वारा की जा रही है।
एक कर्मचारी जो राकेश तिवारी का कलेक्सन एजेन्ट है उसको बीसीए इसलिए 75000 रुपए का सैलरी दे रहा है कि वह अध्यक्ष राकेश तिवारी के नाम पर खिलाड़ियों से टीम में चयन हेतु पैसे की मांग करता है गाली गलौज करता है सोशल मीडिया पर उस शख्स का ऑडियो वीडियो वायरल हो चुका है जो पटना पुलिस के पास भी है, आर्थिक अपराध इकाई के थाने में भी है, क्या राकेश तिवारी बता सकते हैं आज तक क्या कारवाई उसके उपर की गई है। उल्टा बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव के द्वारा चुनकर जब बिहार क्रिकेट टीम के खिलाड़ी मुम्बई के साथ मैच में एक दिन पहले बीसीसीआई के मैच रेफरी को रिपोर्ट करके स्टेडियम जाते हैं तो राकेश तिवारी अपने रसूक से पुलिस के द्वारा बिहार के खिलाड़ियों के उपर दबाब डलवाकर जर्बदस्ती टीम बस में बैठाकर बाहर से ही खिलाड़ियों को मैदान से निकाल दिया जाता है।
रात में पता चलता है कि खिलाड़ियों के उपर झूठा एफ0 आई0 आर0 धारा 307 लगाकर कर दिया गया है। अगर इन सब चीजों पर सवाल किया जाता है तो मेरा बेटा को 6 साल के लिए सस्पेंड किया जाता है ठीक उसी प्रकार जैसे राजनीतिक दल में यह काम देखने को मिलता है उसी प्रकार एक राजनीतिक पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी एक खिलाड़ी के साथ कर रहे हैं। यह बहुत शर्मिंदगी की बात है। पटना के ऊर्जा क्रिकेट स्टेडियम में पिछले साल रणजी ट्रॉफी का मैच हो चुका है फिर एक सोची समझी साजिश के तहत नीतीश सरकार को बदनाम करने के लिए पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में जो अभी जर्जर स्थिति में थी उसमें मुम्बई जैसे टीम का मैच कर के पूरे वर्ल्ड मीडिया में सरकार के साथ-साथ बिहार की भी छवि अध्यक्ष राकेश तिवारी और उनके लोगों ने किया। इसकी जितनी भी बुराई की जाए कम है। मैंने जब मोइनुल हक स्टेडियम के बारे में बीसीसीआई को पत्र के माध्यम से अपने ट्वीट के माध्यम से इसकी अग्रिम सूचना दे दी थी लेकिन बीसीसीआई ने कुछ नहीं किया।
बिहार क्रिकेट टीम में कुछ खिलाड़ी जो जाली उम्र प्रमाण पत्र लगा लगाकर जो बाहरी राज्य के खिलाड़ी 2018 में बिहार को मान्यता मिलने के पश्चात विभिन्न जिलों से बिहार में आकर क्रिकेट खेल रहे हैं और यहां के बच्चों को जगह नहीं मिल रही है। मैंने बीसीसीआई को इन खिलाड़ियों का एक से ज्यादा अनेक उम्र प्रमाण पत्र भेज दिया था लेकिन बीसीसीआई ने कुछ नहीं किया। जब बिहार के एक होनहार खिलाड़ी ने अच्छा खेलना शुरू किया था तब अपना पीठ थपथपाने के लिए बीसीए के लोगों ने उसकी उम्र 12.30 साल बता कर सचिन तेंदुलकर से तुलना कर दिया था। किसी भी उदीयमान खिलाड़ी को मेंटली किस प्रकार परेषान किया जाता है यह देखने को पिछले दो रणजी ट्रॉफी मैच में मिल चुका है।
विज्ञापन निकालकर प्रोफेशनल सिलेक्टर्स कोच सपोर्ट स्टाफ को इंटरव्यू के लिए बीसीए के द्वारा आमंत्रित किया जाता है लेकिन होता क्या है। देश के नाम चिन क्रिकेट खिलाड़ी अपना इंटरव्यू देते हैं लेकिन लिया किसको जाता है जो यशमैन तिवारी का होता है या शर्म की बात है। मामला चुकिं पटना हाई कोर्ट में 1 फरवरी को सुनवाई के लिए लगी हुई है इसलिए हम इसपर ज्यादा बोलना अभी ठीक नहीं समझते है लेकिन इतना तो जरूर कहूंगा लखन राजा के साथ जो हुआ वह किसी और खिलाड़ी के साथ नहीं हो क्योंकि जब राजा मूर्ख होने के साथ-साथ अहंकारी हो जाता है तो उसका राजकाज का अंत सुनिश्चित हो जाता है।
अन्त में इतना कहना है कि अगर बीसीए के अध्यक्ष और उनके चाटूकारों को थोड़ी भी हिम्मत है तो अधीराज जौहरी, गौरव जोशी, गजेन्द्र सिंह, कृष्णकान्त यादव, यशपाल सिंह जैसे खिलाड़ियों के मॉ बाप का बिहार का पिछले तीन साल का बैंक डिटेल्स आधार कार्ड का कॉपी अपने साइट पर लगा दे मैं हार मान जाउॅगा। तुमलोगों की जो दुकान चल रही है जल्द ही बन्द होगा। इंतजार करो। बिहार के खेल प्रेमी खिलाड़ी तुम्हें तुम्हारे करतूतों की सजा जल्द देने वाले हैं।